नई दिल्ली: श्रमिकों की कमी की वजह से कई किसान लेव किये गये खेत में धान की छिटकवा विधि से सीधी बुआई करते हैं। लेकिन अक्सर देखा जा रहा है कि छिटकवा विधि से बुआई करने पर खेत में जमे हुए धान के पौधों में समानता नहीं होती है। साथ ही पौधों की कम संख्या जमती है, जिससे धान की अपेक्षित उपज प्राप्त नहीं हो पाती है। इस समस्या को लेव किये गये खेत में ड्रम सीडर से धान की सीधे बुआई करके दूर की जा सकती है। ड्रम सीडर से बुआई करने से फसल की सिंचाई और श्रमिक पर होने वाले व्यय में बचत होती है। साथ ही फसल तैयार होने की अवधि भी 7-10 दिनों तक कम हो जाती है, जिससे रबी सीजन में गेहूँ की बुआई समय से करने का रास्ता साफ हो जाता है। इसके अलावा ड्रम सीडर से धान की बुआई कतार में होने के कारण खर-पतवार नियन्त्रण में काफी आसानी होती है।
ड्रम सीडर से सीधे बुआई करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। मसलन – ड्रम सीडर द्वारा अंकुरित धान की सीधी बुआई मानसून प्रारम्भ होने के एक सप्ताह पहले तक पूरी कर लेनी चाहिए जिससे मानसून प्रारम्भ होने से पहले ही धान अच्छी तरह अंकुरित होकर खेत में स्थापित हो जाय। साथ ही खेत में लेव लगाते समय पाटा से खेत का समतलीकरण अच्छी तरह करना भी काफी ज़रूरी है, क्योंकि ऊँचा-नीचा खेत होने पर धान के बीज का जमाव एक समान नहीं हो पाता है। ड्रम सीडर से धन की सीधे बुआई करते समय खेत से जल निकास की अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करें, क्योंकि धान जम जाने के बाद अधिक वर्षा में पौधों के मरने की संभावना हो जाती है।
ड्रम सीडर द्वारा धान की बुवाई के समय खेत में 2-2.5 इंच से अधिक जल स्तर न हो, जल इतना ही हो कि ड्रम सीडर आसानी से खेत में चल सके। खेत में लेव लगाने के 5-6 घंटे के अन्दर ही ड्रम सीडर द्वारा धान की सीधी बुआई कर देनी चाहिए। इससे अधिक विलम्ब होने पर धान की खेत की मिट्टी कड़ी होने लगती है और धान के पौधों की प्रारम्भिक बढ़वार धीमी होने के कारण उपज में गिरावट होने लगती है। ड्रम सीडर द्वारा सीधी बुआई करने के लिए 50-55 किग्रा० बीज प्रति हेक्टेअर की आवश्यकता होती है। इस विधि से धान की बुआई करते समय धान की अच्छी प्रजातियों का चुनाव करें।