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अगर आप धनिया की खेती कर रहे हैं तो इन बातों का रखें विशेष ध्यान

नई दिल्ली: किसी भी फसल की खेती करते समय उससे संबन्धित सभी पहलुओं पर ध्यान देना काफी आवश्यक होता है, अन्यथा पैदावार पर उसका सीधा असर पड़ता है। अगर आप धनिया की खेती करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि इसके क़िस्मों के चुनाव से लेकर मिट्टी की गुणवत्ता, जलवायु व उर्वरकों के इस्तेमाल पर उचित तरीके से ध्यान दें। धनिया की खेती करते समय उर्वरकों का समुचित मात्रा में उपयोग बहुत ही ज़रूरी है। असिंचित अवस्था में उर्वरको की संपूर्ण मात्रा आधार रूप में देना चाहिए। जबकि सिंचित अवस्था में नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं फास्फोरस, पोटाश एवं जिंक सल्फेट की पूरी मात्रा बोने के पहले अंतिम जुताई के समय देना चाहिए। नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा खड़ी फसल में टाप ड्रेसिंग के रूप में पहली सिंचाई के बाद देना चाहिए। किसान मित्रों, धनिया की खेती करते समय खाद हमेशा बीज के नीचे दें। खाद और बीज को मिलाकर देने से फायदे की जगह पर आपको नुकसान हो सकता है। इसलिए ऐसा करने से बचें। धनिया की फसल में एजेटोबेक्टर एवं पीएसबी कल्चर का उपयोग 5 कि.ग्रा./हे. के हिसाब से 50 कि.ग्रा. गोबर खाद में मिलाकर बोने के पहले डालना लाभदायक होता है।

धनिया की बुआई से पहले इसके बीजों को सावधानीपूर्वक हल्का रगड़कर दो भागो में तोड़ कर दाल जैसा बना लें। इसके बाद धनिया की बोनी सीडड्रील से कतारों में करें। कतार से कतार की दूरी 30 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 10-15से. मी. बनाए रखें। भारी भूमि या अधिक उर्वरा भूमि में कतारों की दूरी 40 से.मी. रखें। धनिया की बुआई पंक्तियों में करना अधिक लाभदायक होता है। कुंड में बीज की गहराई 2-4 से.मी. तक होना चाहिए। बीजों को अधिक गहराई पर बोने से अंकुरण कम हो जाता है।

किसी भी फसल की सिंचाई एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है। धनिया की पहली सिंचाई 30-35 दिनों बाद पत्ति बनने की अवस्था में, दूसरी सिंचाई 50-60 दोनों के बाद शाखा निकलने की अवस्था में, तीसरी सिंचाई 70-80 दिनों के बाद फूल आने की अवस्था में और चौथी सिंचाई 90-100 दिनों के बाद बीज बनने की अवस्था में करनी चाहिए। हल्की जमीन में पांचवी सिंचाई आप 105-110 दिन बाद दाना पकने की अवस्था में कर सकते हैं।

धनिया की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के उपाय 35-40 दिनों के अंदर ज़रूर अपनाने चाहिए। नहीं तो इसकी उपज 40-45 प्रतिशत तक कम हो जाती है। खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप निर्देशानुसार पेंडिमीथालिन या क्विजोलोफॉप इथाईल का उपयोग कर सकते हैं।

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