कृषि पिटारा

12 राज्यों में होगा डिजिटल क्रॉप सर्वे: नरेंद्र सिंह तोमर

नई दिल्ली: भारत सरकार ने खरीफ सीजन से एक पायलट परियोजना के तहत 12 राज्यों में डिजिटल क्रॉप सर्वे की शुरुआत की है। इससे बेहतर और सटीक बुआई डेटा इकट्ठा करने का नियमित तंत्र स्थापित करने में मदद मिलेगी। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि “सरकार ने खरीफ-सीजन 2023 से 12 राज्यों में डिजिटल क्रॉप सर्वे (डीसीएस) पर पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। इस परियोजना में डीसीएस एप्लिकेशन को एक ओपन सोर्स, ओपन स्टैंडर्ड और इंटरऑपरेबल पब्लिक गुड के रूप में डिजाइन किया गया है।“  डिजिटल क्रॉप सर्वे एप्लिकेशन में कृषि भूमि की स्थिति, यानी खेतों में कौन सी और कितनी फसलें उगाई जा रही हैं, यह सुनिश्चित करने के लिए जियोग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम (जीआईएस) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा।

कृषि मंत्री ने बताया कि डीसीएस पर पायलट के लिए चुने गए 12 राज्य मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम और तेलंगाना हैं। इन राज्यों का चयन डीसीएस के लिए पूर्व जरूरी क्राइटेरिया के संबंध में तैयारियों के आधार पर किया गया है, यानी भू-संदर्भ और स्वामित्व सीमा के साथ अधिकार के डिजिटल रिकॉर्ड (आरओआर) के संबंध में तैयारियों के आधार पर किया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि, परियोजना का उद्देश्य बोई गई फसल डेटा के बारे में एक एकल और वेरिफ़ाई सोर्स बनाना है यानी किस खेत में कौन सी फसल कितनी मात्रा में लगाई गई है, उसका एकमात्र सोर्स बनाना है। इससे वेरिफ़ाई सोर्स के माध्यम से सटीक फसल क्षेत्र के आकलन और विभिन्न किसान-केंद्रित समाधानों के विकास के लिए उपयोगी जानकारी मिलेगी। देश में बोई गई फसल डेटा की वेरिफ़ाई जानकारी के अभाव में गेहूं और चावल की सप्लाई में कमी का सामना करने के मद्देनजर, कृषि मंत्री का यह बयान महत्वपूर्ण है।

डिजिटल क्रॉप सर्वे से किसानों को कई जरूरी लाभ होंगे। उन्हें अब अपनी उपज बेचने के लिए अपने दस्तावेजों का बार-बार सत्यापन कराने से मुक्ति मिल जाएगी। इससे उन्हें अपनी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बेचना आसान हो जायेगा। इसके अलावा, फसल के नुकसान होने की स्थिति में किसानों को वास्तविक क्षति का मुआवजा मिलना भी आसान होगा। साथ ही, सरकार को यह जानकारी होगी कि किस खेत में कौन-सी फसलें उगाई गई हैं, जिससे उन्हें विभिन्न किसानों को उनकी फसल के अनुरूप सलाह देने की सुविधा होगी।

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