नई दिल्ली: दुग्ध उत्पादन के मामले में साहिवाल गाय हमेशा से बढ़िया मानी जाती है। इस प्रजाति की गाय की कीमत भी काफी अधिक होती है। इस वजह से यह काफी ज़रूरी हो जाता है कि अगर आप इस गाय को पाल रहे हैं तो इसकी उचित देखभाल करें, अन्यथा कुछ रोगों से ग्रसित होने की दशा में आपके पशुधन को नुकसान पहुँच सकता है।
साहिवाल गाय को पीलिया रोग से ग्रसित होने का खतरा अक्सर बना रहता है। इसलिए जिन पशुओं में लाग और खून के कीड़ों की बीमारी है, उनसे साहिवाल को दूर रखें। इसके अलावा गुलुकोज़ और नमक का घोल, कैल्सियम ग्लूकानेट, विटामिन ए और सी दें। साथ-साथ एंटीबायोटिक दवाइयां भी देते रहें। पशु को हरा चारा और चर्बी रहित खुराक के साथ लिवर टॉनिक देने से भी इस बीमारी का प्रभाव कम होता है।
साहिवाल गाय के लिए एंथ्रैक्स बीमारी भी जानलेवा साबित होती है। यह एक तेज बुखार की बीमारी है। यह बीमारी आमतौर पर कीटाणु और दूषित पानी से होती है। यह बीमारी अचानक भी हो सकती है या कुछ समय भी ले सकती है। इसकी वजह से पशु को तेज बुखार होता है और वह मुश्किल से सांस ले पाता है। इस बीमारी से ग्रसित होने पर पशु टांगें मारता है और उसे दौरे पड़ते हैं। जानवर का शरीर अकड़ जाता है और चारों टांगे बाहर की ओर खिंच जाती हैं। इस बीमारी का अब तक कोई असरदायक इलाज नहीं मिल पाया है। लेकिन विशेष सावधानी अपनाते हुए आप हर वर्ष इसके बचाव के लिए टीके लगवा सकते हैं।
एनाप्लाज़मोसिस एक ऐसी बीमारी है जिससे साहिवाल गाय अक्सर ग्रसित होती है। यह एक संक्रमक बीमारी है, जो एनाप्लाज़मा मार्जिनल के कारण होती है। इसके कारण शरीर का तापमान बढ़ जाता है। पशु की नाक से गहरा तरल पदार्थ निकलता है। साथ ही उसमें खून की कमी, पीलिया और मुंह से लार गिरने जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। इस बीमारी के इलाज के तौर पर आप परजीवी की संख्या की रोकथाम के उपाय कर सकते हैं। इसके लिए आप गाय को अकार्डीकल दवाई दें। इस बीमारी की जांच के लिए सीरोलॉंजिकल टेस्ट करवाएं। यदि परिणाम पॉज़िटिव आता है तो तुरंत पशु के किसी अच्छे डॉक्टर से दिखाएँ।
उपरोक्त बीमारियों के अलावा अनीमिया भी एक ऐसी बीमारी है, जिसकी चपेट में साहिवाल गाय अक्सर आती रहती है। इसके लक्षण मांसपेशियों की कमज़ोरी, तनाव और ताप बढ़ने के रूप में दिखते हैं। यह रोग खराब पोषण प्रबंधन और आहार में पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। इसके इलाज के तौर पर आप गाय के आहार में विटामिन ए, बी और ई दें। साथ ही आयरन डेक्सट्रिन 150 मिलिग्राम का टीका भी ज़रूर लगवाएं।