नई दिल्ली: पशुपालन पुराने समय से ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख आधार रहा है। इसके जरिये दूध और मांस के अलावा कृषि कार्यों के लिए भी विभिन्न संसाधन प्राप्त होते हैं। पशुपालन के साथ सबसे अच्छी बात ये है कि इसके जरिये आमदनी बहुत जल्दी शुरू हो जाती है। इससे निरंतर आमदनी होती रहती है और एक समय बाद मोटी रकम की आवश्यकता पड़ने पर इनकी बिक्री कर बड़ी धनराशि की व्यवस्था बड़ी आसानी से की जा सकती है।
आज के समय में जैविक कृषि की जिस तरह से पुनः प्रासंगिकता साबित हो रही है, उससे पशुपालन का महत्व एक बार फिर से बढ़ गया है। केंद्र सरकार की उस योजना का पशुपालन एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसके जरिये किसानों की आमदनी बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार के प्रयासों, सुदूर ग्रामीण इलाकों तक सूचना के प्रसार व किसानों की जागरूकता की वजह से काफी किसान एक बार फिर पशुपालन की ओर प्रवृत हो रहे हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं तो एक व्यवसाय के रूप में भेड़ पालन आपके लिए काफी मुनाफे से भरा साबित हो सकता है। भेड़ पालन मांस के साथ-साथ ऊन, खाद, दूध और चमड़ा जैसे कई उत्पादों के लिए किया जाता है। इस व्यवसाय के जरिये दुनिया भर में लाखों लोग अपनी आजीविका चला रहे हैं और काफी अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं। अगर आप भी भेड़ पालन की शुरुआत करना चाहते हैं तो इस दौरान कुछ बातों का ज़रूर ध्यान रखें। मसलन –
देश के कई राज्यों में भेड़ पालन को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ योजनाएं चल रही हैं, जिनका लाभ उठाकर आप भी इस व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं। इसलिए भेड़ पालन की शुरुआत करने से पहले इन योजनाओं के बारे में आपको जानकारी जरूर प्राप्त करनी चाहिए।
जहां तक बात है अच्छे मुनाफे के लिए आवश्यक भेड़ों की न्यूनतम संख्या की, तो यह कई कारकों पर निर्भर करती है। जैसे कि – हमारे देश में मांस, दूध और ऊन का मूल्य क्या है? स्थानीय नियम, खाद्य के मूल्य व स्थानीय रोग जिनकी वजह से पशु की चिकित्सा पर कितना खर्च हो सकता है? इत्यादि। इन कारकों को ध्यान में रखकर ही भेड़ों की संख्या निर्धारित करें।
किसी भी पशुधन से अच्छा मुनाफा कमाने के लिए उसकी अच्छी तरह से देखभाल की आवश्यकता होती है। भेड़ों के साथ भी यह बात लागू होती है। भेड़ें अक्सर विभिन्न कीड़ों और परजीवियों से ग्रस्त रहती हैं। यदि आपको भेड़ों में इनसे संबंधित कोई समस्या दिखे तो हमेशा किसी स्थानीय लाइसेंस प्राप्त पशु चिकित्सक से ही सलाह लें।
पशु चिकित्सक से सलाह लेने के बाद आपको उन्हें वर्ष में एक बार टीका भी लगवाना पड़ सकता है।
अच्छी नस्लों की देशी, विदेशी एवं संकर प्रजातियों का चुनाव अपने उद्देश्य के अनुसार करना चाहिए।
अगर आप मांस के लिए भेड़ पालन करना चाहते हैं तो निम्न किस्मों का चुनाव कर सकते हैं – मालपुरा, जैसलमेरी, मांडिया, मारवाड़ी, नाली शाहाबादी व छोटानागपुरी। ये किस्में इस मामले में सर्वोत्तम मानी जाती हैं।
ऊन के लिए आप बीकानेरी, मेरीनो, कौरीडेल व रमबुये का चुनाव कर सकते हैं। जबकि दरी ऊन के लिए मालपुरा, जैसलमेरी, मारवाड़ी, शाहाबादी एवं छोटानागपुरी इत्यादि किस्में बेहतर मानी जाती हैं। उपरोक्त बातों का ध्यान रखकर आप भेड़ पालन के व्यवसाय को सफल बना सकते हैं।