जैविक विविधता पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण अंश है l हर जीव जंतु की प्रकृति में अपनी एक महत्व महत्वपूर्ण भूमिका होती है l ऐसे में किसी जीव जंतु का विलुप्त होना या संकट ग्रस्त श्रेणी में आना पर्यावरण के लिए घातक है अतः ऐसे जीव जंतुओं का संरक्षण करना बेहद आवश्यक हैl
भारत 1969 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के माध्यम से IUCN का एक राज्य सदस्य बना। आईयूसीएन इंडिया का कंट्री ऑफिस 2007 में नई दिल्ली में स्थापित किया गया था।
भारत में कुल 199 प्रजातियाँ गंभीर रूप से संकटग्रस्त श्रेणी में मानी जाती हैं। वर्ष 2021 में भारत से कुल बीस प्रजातियाँ गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN रेड लिस्ट में जोड़ी गईं। इसमें चौदह पशु प्रजातियाँ और छह पादप प्रजातियाँ शामिल थीं।
पृथ्वी पर जीव जंतुओं की लाखों प्रजातियां पाई जाती हैं कुछ प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है और कुछ ऐसी प्रजातियां जो विलुप्त होने के कगार पर हैं l विलुप्त होती प्रजातियों को बचाने के लिए एवं लोगों में जागरूकता लाने के लिए हर साल मई माह के तीसरे शुक्रवार को राष्ट्रीय लुफ्त प्राय प्रजाति दिवस मनाया जाता है l वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिवस को मानने पर जोर दिया था ताकि लोगों में जागृति आए और लोग इन लुप्त होती प्रजातियों को बचाने के लिए आगे आए l भारत में भी कुछ ऐसी प्रजातियां पाई जाती हैं क्योंकि लगभग लुप्त होने के कगार पर हैं जैसे गोडावण पक्षी एशियाई सिंह लायन टेल्ड मकाक शंघाई हिरण नीलगिरी तहर इत्यादि l
1) गोडावण पक्षी : राजस्थान का राजकीय पक्षी है शुतुरमुर्ग के समान दिखने वाला यह पक्षी लगभग विलुप्त होने की अवस्था पर है यह भारत के राजस्थान गुजरात महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में मुख्य रूप से पाया जाता है सोन चिरैया के नाम से प्रसिद्ध यह पक्षी पर्यावरण प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के बीच आज चर्चा का विषय बना हुआ है सरकार और गैर सरकारी संस्थाएं इस प्रजाति को बचाने में और इसके प्रजनन एवं जनसंख्या वृद्धि की कोशिश में लगे हुए हैं l बर्ड पार्क एवं पक्षी अभ्यारण के द्वारा इन पंछियों की जनसंख्या वृद्धि एवं संरक्षण कार्य किया जा रहे हैं l
2) एशिया सिंह : भारत में पाई जाने वाली एक प्रकार की शेर की प्रजाति है जो की विलुप्त होती प्रजाति के रूप में जानी जाती है l सरकार और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा इनके संरक्षण के लिए उठाए गए कदमों की वजह से अब इनकी जनसंख्या बढ़ने लगी है l एशियाई सिंह गुजरात के गिर के जंगलों में पाए जाने शेरों की प्रजाति है जिसे भारतीय शेर भी कहा जाता है l
3) लायन टेल्ड मकाक : बंदर की यह प्रजाति कर्नाटक केरल और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट के वर्षा वनों में पाई जाती है l शेर के मुंह जैसी बनावट वाला यह बंदर है और शेर की तरह ही इसकी गर्दन पर लंबे-लंबे बाल होते हैं और जिसके चलते इसका नाम लायन टेल्ड मकाक पड़ाl
4) शंघाई हिरण : 1950 में शंघाई हिरण को लगभग विलुप्त मान लिया गया था परंतु बाद में यह मणिपुर राज्य के कुछ स्थानों पर पाया गया और सरकार के द्वारा इसका संरक्षण एवं प्रजनन को बढ़ावा दिया गया ताकि इसकी जनसंख्या वृद्धि की जा सके l हिरण की यह प्रजाति केवल मणिपुर राज्य में पाई जाती है l मणिपुर का यह राज्य पशु भी है l कुछ लोग इस डांसिंग डियर भी कहते हैं l शंघाई हिरण लोगों के बीच सदैव आकर्षण का केंद्र बना रहता हैl
5) नीलगिरी तहर : यह प्रजाति भारत के तमिलनाडु और केरल में मौजूद नीलगिरी पर्वत एवं पश्चिमी घाट के दक्षिणी इलाकों में पाई जाती है l यह प्रजाति केवल भारत में ही पाई जाती है और दुनिया के किसी भी कोने में नहीं पाई जाती है l इस प्रजाति को बचाने के लिए तमिलनाडु सरकार ने नीलगिरि तहर संरक्षण परियोजना शुरू की जिसके चलते नीलगिरी तहर की जनसंख्या में इजाफा हुआ l लोगों को जागरूक करने के लिए एवं इस प्रजाति को संरक्षित करने के लिए एवं इसकी जनसंख्या वृद्धि करने के लिए सरकार ने 7 अक्टूबर को नीलगिरी तहर दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जाता हैl
6) मोनार्क तितली :- वहीं अगर हम बात करें तितलियों की तो मोनार्क तितली की प्रजाति को अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ आई यू सी एन ने संकटग्रस्त प्रजातियों की लाल सूची में लुफ्त प्राय घोषित कर दिया है l मोनार्क तितली यह तितली की एक प्रजाति है जो कि पूरे अमेरिका में लगभग 4000 किलोमीटर की यात्रा करती है l जिस प्रजाति की तितलियां ऑस्ट्रेलिया हवाई और भारत जैसे देशों में भी पाई जाती हैं दुनिया में सबसे अधिक पहचाने जाने वाली तितली की यह प्रजाति आवश्यक परगना करता एवं वैश्विक का डी जल को बनाए रखने के लिए विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं भी प्रदान करती हैं l कीटनाशकों का उपयोग जंगलों की अंधाधुंध कटाई जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण कुछ ऐसे कारक हैं जिनके चलते तितलियों की आबादी काफी हद तक कम हो गई है और कई प्रजाति है तो ऐसी है जो की विलुप्त होने के कगार पर खड़ी है l पर्यावरणीय दशाओं को बेहतर बनाने में तितलियों की आबादी की महत्वपूर्ण भूमिका दर्ज की गई है l भारतीय प्राणी विज्ञान सर्वेक्षण के अनुसार भारत में तितलियों की 1318 प्रजातियां पाई जाती हैं दूसरी और अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार भारत में तितलियों की 35 प्रजातियां लगभग गंभीर रूप से संकटग्रस्त की श्रेणी मैं दर्ज हो चुकी है l अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ ने भारत की तितलियों की 43 प्रजातियों को संकटग्रस्त और तीन तितली प्रजातियों को न्यूनतम रूप से विचारणीय संकटग्रस्त श्रेणी में रखा है जो की एक चिंता का विषय है l पर्यावरण विद् का मानना है कि तितलियों की जनसंख्या में कमी आना दूसरे जीवन की जनसंख्या को भी काफी हद तक नियंत्रित करती है क्योंकि तितलियों के अंडे से बने लार्वा और कृपा कई दूसरे जीवों का भोजन भी बनते हैं l खाद्य श्रृंखला भी इससे प्रभावित होती है l संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार दुनिया की 75 फ़ीसदी खेती परागन पर निर्भर करती है l इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की तितलियां हमारे जीवन में कितना महत्व रखती है l रंग बिरंगी सुंदर तितलियां हर किसी का मन मोह लेती है l बचपन में हर किसी ने इसे पकड़ने की कोशिश भी की होगी l तितलियों के मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका है जिसके चलते सरकार एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा तितलियों की प्रजातियां को संरक्षित करने के लिए एवं उनकी प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए एवं उनकी जनसंख्या बढ़ाने के लिए बटरफ्लाई पार्क एवं बटरफ्लाई अभ्यारण बनाए जा रहे हैंl
विलुप्त एवं संकटग्रस्त श्रेणी में आने वाले पशु पक्षियों तितलियां इत्यादि के प्रजातियों को बचाया जाए और उनकी जनसंख्या में इजाफा करने के लिए सरकार एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा उच्च स्तर पर जागरूक अभियान चलाया जाए और उन सभी चीजों पर पाबंदी लगाई जाए जिसकी वजह से उनकी जनसंख्या पर विपरीत असर पड़ा है l वरना वह दिन दूर नहीं कि हम लोग बहुत सारे पशु पक्षियों को केवल किताबों में ही पढ़ पाएंगे वास्तविक रूप में वह कल्पना बनकर ही रह जाएंगेl
सुनीता सैनी (समाज सेवा, पर्यावरणविद् एवं महिला सशक्तिकरण) सीकर, राजस्थान