नई दिल्ली: अक्सर कई पौधों में फलों या फूलों के झड़ने की समस्या देखने को मिलती है। इससे पैदावार में बहुत कमी आ जाती है। अगर संबंधित फसल की खेती व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए की जा रही है तो इसका सीधा असर मुनाफे पर भी पड़ता है। इसलिए बेहतर होगा कि आप उन फसलों पर विशेष निगरानी रखें, जिनमें अभी तक फूलों या फलों के झड़ने की समस्या देखी गई है।
पौधों से फलों व फूलों के गिरने की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। कुछ पौधों में वंशीय गुणों के कारण भी फूल एवं फल झड़ने लगते हैं। इसके अलावा पौधों के कार्बोहाइड्रेट व नाइट्रोजन के अनुपात में असंतुलन के कारण भी कुछ पौधों से फूल झड़ जाते हैं या आते ही नहीं हैं। यह असंतुलन नाइट्रोजन की अधिकता के कारण होता है। इसके कारण पौधों की वानस्पतिक वृद्धि तो होती रहती है, लेकिन कार्बोहाइड्रेट का संचयन नहीं हो पाता है, जिससे पौधों में फूल नहीं बनते हैं।
पौधों में फलों व फूलों के झड़ने का एक कारण पोषक तत्वों की कमी भी है। फल वृक्षों में पोषक तत्व अप्रत्यक्ष रूप से फूल लगने की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं। फास्फोरस, बोरॉन व सल्फर आदि पोषक तत्वों की कमी की वजह से भी पौधों पर पर्याप्त मात्रा में फूल नहीं लगते हैं।
फलों के झड़ने या फूलों के नहीं आने की समस्या जलवायुवीय कारकों की वजह से भी उत्पन्न होती है। मौसम के बदलने, तापक्रम के अत्याधिक उच्च या निम्न होने, सूर्य के प्रकाश, आर्द्रता, असमय वर्षा, अत्याधिक ठण्डी-गर्मी व तेज हवाएं आदि भी फल वृक्षों में फल-फूल झड़ने की समस्या उत्पन्न करते हैं।
कई पौधों में फलों व फूलों के झड़ने की समस्या विभिन्न रोगों एवं कीटों के प्रकोप के कारण भी उत्पन्न होती है। साथ ही फूल आने के समय पौधों पर अत्याधिक रसायनों का छिड़काव भी इस समस्या को जन्म देता है।
किसान मित्रों, पौधों में फलों व फूलों के झड़ने की समस्या से बचाव के लिए उचित समय पर कर्षण क्रियाएँ सम्पन्न करें। यानी पौधों में सिंचाई, खाद व उर्वरक तथा निड़ाई-गुड़ाई आदि कर्षण क्रियाएँ उपयुक्त समय व पर्याप्त मात्रा में ही करें, ताकि फसल की वृद्धि व फलन ठीक प्रकार से हो सके।
जो रोग या कीट फलों व फूलों को नष्ट करते हैं उनकी सही समय पर रोकथाम करें। ठण्डी, गर्म, तेज हवाओं तथा पाले से बचाव के लिए बाग के उत्तर एवं पश्चिम दिशा में ऊंचे पेड़ों की वायुवृत्ति लगा दें ताकि फूल एवं फल झड़ने से बच सकें।
कई पौधों में मूल समस्या फूल झड़ने व फल गिरने की होती है। अतः इनके बचाव के लिए एन.ए.ए. की 20 से 40 पी.पी.एम. मात्रा का छिड़काव रोपा लगाने के 25 दिनों बाद ज़रूर करें। आप प्लेनोफिक्स की 2 से 4 मि.ली. मात्रा को 4.50 लीटर पानी में घोलकर भी छिड़काव कर सकते हैं। इन उपायों को अपनाने से उपरोक्त समस्या का समाधान किया जा सकता है।