कृषि पिटारा

भारत की किसान बेटियां: पद्मश्री से सम्मानित वो महिला किसान, जिन्होंने खेती में किए नये बदलाव

नई दिल्ली: भारत में किसानी का काम सिर्फ पुरुषों का नहीं है। आज के समय में, कई महिलाएं भी खेती के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। वे न केवल अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं, बल्कि अपने गांव, राज्य और देश का नाम रोशन कर रही हैं। वे समाज की बेडियों को तोड़कर खेती के साथ-साथ पशुपालन, मछलीपालन, मधुमक्खी पालन जैसे अन्य कार्य भी कर रही हैं। वे नई तकनीकों का इस्तेमाल करके जैविक खेती कर रही हैं और अपने उत्पादों को बाजार में बेचकर आय बढ़ा रही हैं। वे दूसरी महिलाओं को भी अपने साथ जोड़कर उन्हें ट्रेनिंग दे रही हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में मदद कर रही हैं। वे युवाओं को भी प्रेरित कर रही हैं कि वे भी खेती के क्षेत्र में अपना करियर बनाएं। इन महिला किसानों के कार्य और उपलब्धियों को देखते हुए, भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया है। आइये जानते हैं उन महिला किसानों के बारे में, जिन्होंने खेती में नये बदलाव किये हैं।

राजकुमारी देवी (किसान चाची)

राजकुमारी देवी: वे बिहार की रहने वाली हैं और उन्हें किसान चाची के नाम से जाना जाता है। वे अपने पति के साथ खेती करती हैं और अपने खेत में उगी सब्जियों से अचार, जैम, चिप्स बनाकर देशभर में बेचती हैं। वे अपने गांव की महिलाओं को भी इसकी ट्रेनिंग देती हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिये प्रोत्साहित करती हैं। वे नई तकनीकों का इस्तेमाल करके खेती करती हैं और अपनी आय में इजाफा करती हैं। वे महिलाओं के लिये एक मिसाल हैं और उन्हें पद्म श्री पुरस्कार से नवाजा गया है।

जमुना टुडू

जमुना टुडू: वे झारखंड की रहने वाली हैं और उन्हें लेडी टार्जन के नाम से भी लोग जानते हैं। वे अपना पूरा जीवन जंगलों के नाम समर्पित कर रही हैं और वन और पर्यावरण के संवर्द्धन और संरक्षण में अपना योगदान दे रही हैं। वे अपने आसपास के 300 गांवों की महिलाओं को भी अपने साथ जोड़कर उन्हें जंगल की रक्षा करने के लिये प्रशिक्षण देती हैं और उन्हें जंगल से जुड़ी विभिन्न आय के स्रोतों के बारे में बताती हैं। वे जंगल में पाये जाने वाले वन्य फलों, जड़ी-बूटियों, फूलों और शहद का इस्तेमाल करके अपने उत्पादों को बाजार में बेचती हैं और अपनी आय में इजाफा करती हैं। वे जंगल के पेड़ों को काटने वालों के खिलाफ आवाज उठाती हैं और उन्हें रोकने के लिये अपनी जान की भी परवाह नहीं करती हैं। वे वन और पर्यावरण की रक्षक हैं और उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

अमरजीत कौर

अमरजीत कौर: वे हरियाणा की रहने वाली हैं और उन्हें किसान बेटी के नाम से जाना जाता है। वे अपने पिता के बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण खेती का जिम्मा लेने पर मजबूर हुईं और अपने भाई के साथ मिलकर खेती करने लगीं। वे फसल की बुवाई से लेकर कटाई और बाजार में बेचने तक का सारा काम खुद ही करती हैं। वे ट्रेक्टर भी चलाती हैं और अपने परिवार की जिम्मेदारियां भी उठाती हैं। वे खेती के साथ-साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखती हैं और अपने गांव की बच्चियों को भी पढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करती हैं। वे खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल करती हैं और अपनी फसल की उपज में सुधार करती हैं। वे खेती के क्षेत्र में एक उदाहरण हैं और उन्हें हरियाणा सरकार ने राज्य का गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया है।

राहीबाई सोमा पोपेरे

राहीबाई सोमा पोपेरे: वे महाराष्ट्र की रहने वाली हैं और उन्हें भारत की बीज माता के नाम से जाना जाता है। वे अपने घर में ही देसी बीजों के संरक्षण करके बीज बैंक बनाया हुआ है। वे अपने बैंक में इकट्ठा किये गये बीजों को वैज्ञानिकों और किसानों को देती हैं, और बिना रसायनों वाली जैविक खेती करने करने के लिये 35,000 किसानों को ट्रेनिंग भी देती हैं। राहीबाई द्वारा सहेजे गये बीजों से आज 32 फसलों की खेती की जा रही है। वे खेती के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव कर रही हैं। उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

त्रिनिती सावो

त्रिनिती सावो: वे मेघालय की रहने वाली हैं और उन्हें जैविक हल्दी की खेती करने के लिये जाना जाता है। वे पश्चिम जयंतिया हिल्स की सफल महिला किसान हैं और अपने गांव की महिलाओं को भी अपने साथ जोड़कर उन्हें हल्दी की खेती करने के लिये प्रशिक्षण देती हैं। वे हल्दी के खेती के साथ उनका प्रसंस्करण करके वे महिलाओं को तो आत्मनिर्भर बना ही रही हैं, दूसरे किसानों को भी प्रोत्साहित कर रही हैं। वे हल्दी की जैविक खेती से देश-विदेश में नाम तो कमाया ही है, साथ ही 800 से ज्यादा महिला किसानों को ट्रेनिंग भी दी है। समाज में उनके इसी योगदान के लिये सरकार ने इन्हें पद्मश्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।

Related posts

Leave a Comment