अब बदलते दौर के साथ किसानों के खेती करने की तस्वीर भी बदल रही है। गेहूं, चावल, सरसो के साथ अब मिर्ची की खेती करके किसान अपनी आय दोगुनी कर आत्मनिर्भर बन रहे हैं।
हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की, जहां के किसान अब आत्मनिर्भर बनते हुए मिर्ची की खेती करते हुए अपनी आय को दोगुनी करने मे जुटे हुए हैं। किसानों ने मिर्ची की खेती की शुरुआत आज से 3 से 4 साल पहले शुरू की थी और अपने खेतों में मिर्ची की खेती कर उनको बाजारों में बेचकर अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहे हैं। वह अपने खेत के तीन से चार बीघा में मिर्ची की खेती कर रहे है. अगर पूरे गांव की बात की जाए तो पूरे गांव में 10 से 12 बीघे में मिर्ची की खेती हो रही है.
कम समय में किसान कर रहे अच्छी कमाई
मिर्ची की खेती कर रहे किसान अशोक चंदेल ने बताया कि वह लगभग चार वर्षों से मिर्ची की खेती कर रहे है, उन्होंने बताया कि वह भी पहले गेहूं, सरसों जैसी अन्य फसलों की खेती किया करते थे. लेकिन उनमें टाइम ज्यादा खर्च हुआ करता था और मुनाफा भी कम मिलता था तभी उनको ख्याल आया कि क्यों न मिर्च की खेती की जाए इसमें लागत भी काम है और मुनाफा ज्यादा है. मात्र तीन महीने में रोजाना अच्छा मुनाफा होता है. किसान के लिए यह फायदे की खेती है।
40 दिनों में मिर्च की फसल हो जाती है तैयार
किसान ने बताया की मिर्ची की खेती के लिए उन्होंने मिर्ची का बीज बाजार से खरीदा जो की 650 रूपए का मिलता है.उसके बाद उन्होंने अपनी नर्सरी में इसको तैयार किया.नर्सरी में यह 35 दिन में तैयार हो जाते हैं. उसके बाद उन्होंने नर्सरी से इन मिर्ची के पौधों को उखाड़ कर पौधा रोपण अपने खेत में किया. आधार ओपन करने के 40 दिन बाद यह पौधे मिर्ची देने लगते हैं. इसमें पानी की बात की जाए तो उसमें 9 से 10 पानी दिया जाता है. मिर्च की खेती की खासियत यह होती है कि इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है.
एक बीघे में इस फसल से होती है 8 लाख रुपए की बचत
मिर्च की खेती की खासियत यह होती है कि इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. किसान अशोक चंदेल ने बताया कि इसकी खेती करने के लिए 25 हजार रूपए की लागत आती है. इसके बाद जब वह इस मिर्ची को बाजारों में बेचते है. तो एक बीघा से लगभग एक लाख रुपए की बचत हो जाती है और उसका एक पौधा लगभग 8 महीने तक मिर्ची देता है
रिपोर्टर: पंकज कुमार श्रीवास्तव