देश के प्याज उत्पादक किसान इस समय गंभीर संकट से गुजर रहे हैं। कई राज्यों में प्याज की कीमतें इतनी गिर गई हैं कि किसानों को लागत भी नहीं निकल रही। खासकर महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसान इस स्थिति को लेकर सरकार से बेहद नाराज हैं। किसानों का कहना है कि महीनों से उन्हें प्याज की उचित कीमत नहीं मिल रही और अब मई महीने में हुई बेमौसम बारिश ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। कई इलाकों में प्याज की खड़ी फसल और गोदामों में रखी उपज बर्बाद हो चुकी है।
महाराष्ट्र के प्याज किसानों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। वहां की कई मंडियों में न्यूनतम कीमतें 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, जो कि प्रति किलो सिर्फ 1 से 2 रुपये बैठती है। इंद्रपुर, करजात, शोलापुर और येवला जैसी मंडियों में किसानों को भारी घाटा हो रहा है। हालांकि कुछ जगहों पर अधिकतम कीमतें 2000 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज की गईं, लेकिन किसानों का कहना है कि केवल चुनिंदा व्यापारी ही इस भाव पर माल खरीदते हैं, जिससे अधिकांश किसानों को फायदा नहीं मिल पाता।
मध्य प्रदेश में हालत और खराब है। रतलाम जिले की आलोट मंडी में प्याज 50 रुपये प्रति क्विंटल यानी सिर्फ 50 पैसे प्रति किलो में बिका। यह अब तक की सबसे कम कीमतों में से एक मानी जा रही है। कई अन्य मंडियों जैसे भोपाल, उज्जैन और बड़वानी में भी मॉडल कीमतें 700 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रही हैं, जो किसानों के लिए नुकसानदेह है। किसान संगठनों का कहना है कि लागत निकालना तो दूर, वे भाड़ा और मजदूरी तक नहीं निकाल पा रहे हैं।
किसानों की मुख्य मांग है कि राज्य सरकारें जल्द से जल्द मुआवजा घोषित करें और पारदर्शी तरीके से सरकारी खरीद शुरू की जाए। इसके साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर उसे लागू करने की मांग भी जोर पकड़ रही है। कई जगहों पर किसानों ने प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं और सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। फिलहाल महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की मंडियों में प्याज की स्थिति बेहद चिंताजनक है। यदि सरकारें जल्दी हस्तक्षेप नहीं करतीं, तो इस संकट का असर आने वाले दिनों में बाजार और आम जनता पर भी दिख सकता है।