नई दिल्ली: भारत के किसानों के सामने एक नया विकल्प सामने आया है, जिससे किसानों को भरपूर मुनाफा हो रहा है। यह विकल्प है – जापानी रेड डायमंड अमरूद की खेती। यह अमरूद की एक नई किस्म है, जिससे किसान कृषि के जरिये सफलता के नए-नए किस्से लिख रहे हैं। अमरूद, जिसे हर कोई पसंद करता है, इसकी खेती भारत में व्यापक रूप से की जाती है। इसमें सबसे अधिक विटामिन सी होती है, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। अमरूद में लोहा, चूना और फास्फोरस भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। अगर आप नियमित रूप से अमरूद का सेवन करते हैं, तो आपका शारीरिक स्वास्थ्य हमेशा तंदरुस्त और तरोताजा रहता है।
भारत में अमरूद की कई किस्मों की खेती की जाती है, लेकिन जापानी रेड डायमंड अमरूद की खेती से किसानों की किस्मत चमक रही है। भारत में आमतौर पर अमरूद का रेट 40 से 60 रुपये प्रति किलो होता है, लेकिन जापानी रेड डायमंड अमरूद की मांग इसके मुकाबले कई गुना ज्यादा होती है। इसका ख़ास स्वाद और मिठास मशहूर है। यह बाजार में 100 से 150 रुपये प्रति किलो पर बिकता है। जापानी रेड डायमंड अमरूद की खेती करने वाले किसानों को कुछ ही सालों में मालामाल बना देती है। इसके लिए उन्हें ध्यानपूर्वक खेती की तकनीकों का पालन करना होता है।
जापानी रेड डायमंड अमरूद की खेती के लिए 10°C से 42°C के बीच का तापमान उपयुक्त माना गया है और मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 के बीच होना चाहिए। इसके लिए काली और बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है, जिसमें इस अमरूद की खेती से बेहतर पैदावार मिलती है। जापानी डायमंड अमरूद की बुवाई करते समय कतार से कतार के बीच 8 फीट की दूरी बनाए रखनी चाहिए, जबकि पौधों के बीच की दूरी 6 फीट होनी चाहिए। इससे पौधों का विकास तेजी से होता है और पैदावार भी बढ़ती है।
जापानी रेड डायमंड अमरूद की खेती के लिए उर्वरक के रूप में गोबर और वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करने से जमीन की उर्वरक शक्ति में वृद्धि होती है। इसके साथ ही, एनपीके सल्फर, कैल्शियम नाइट्रेट, मैग्नीशियम सल्फेट, और बोरॉन का खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।