कृषि पिटारा

सूखी हुई नदी की रेत पर एक बार पूंजी लगाकर कुछ ही महीनों में आमदनी दोगुनी कर रहे किसान।

बुंदेलखंड क्षेत्र में किसानों के सामने अपार संभावनाएं हैं बस आवश्यकता है तो संभावनाओं को पहचानने की और उन्हें मूर्त रूप देने की। आज हम आपको एक ऐसी खेती के बारे में बता रहे हैं जो की 5 से 6 माह की खेती होती है। जिसमें किसान एक बार पूरी लगाकर कुछ ही महीनो में उस पूंजी को दोगुना कर सकता है और यह खेती ऐसी जमीन पर हो रही है जहां पर कुछ भी उगना संभव नहीं है।

जी हां हम बात कर रहे हैं नदी में पाए जाने वाली रेत की। जब सुख जाती हैं नदियों में पानी नहीं रहता है ऐसी स्थिति में बुंदेलखंड के झांसी जिला के किसान सूखी हुई नदी की रेत पर ककड़ी की खेती कर रहे हैं। यह खेती लगभग 6 माह की होती है जिसमें दो से तीन माह का समय किसानों को पौध से फल तैयार करने में लग जाता है।

इसके बाद दो से तीन महीने तक ककड़ी की फसल किसानों को प्राप्त होती रहती है। जिसे बाजार में बेचकर किसान आसानी से मुनाफा प्राप्त कर रहे हैं। नदी की रेत पर की जाने वाली ककड़ी की खासियत यह है कि यह कड़ी मिट्टी में की जाने वाली ककड़ी की अपेक्षा एकदम साफ सुथरी रहती है। इस ककड़ी का इस्तेमाल सलाद के रूप में किया जाता है साथ ही था ककड़ी विटामिन से भरपूर भी होती है। सूखी हुई नदी की रेत पर कई किलोमीटर में झांसी जिले के किसान इस मौसम में इस ककड़ी की खेती कर रहे हैं।

रिपोर्टर: अनुज श्रोत्रिय (झांसी)

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