कृषि पिटारा

हाइब्रिड करेले की खेती से किसान कमा रहे हैं बढ़िया मुनाफ़ा

नई दिल्ली: आजकल बागवानी फसलों की खेती में कई फसलों की पारंपरिक क़िस्मों की बजाय उनकी हाइब्रिड क़िस्मों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। बाजार में दोहरे उद्देश्य वाली सब्जियों की मांग बढ़ रही है और करेला इसमें एक मुख्य योगदान दे रहा है, जो सब्जियों से भी अधिक औषधीय है।

अधिकांश किसान हाइब्रिड करेले की व्यावसायिक खेती पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। खासकर, बहुत सी कंपनियां किसानों से करार कर करेले की खेती करवा रही हैं। छोटे किसान मचान प्रणाली का उपयोग कर खेती कर रहे हैं, जिससे करेले की फसल में सड़ने और गलने के जोखिम कम हो रहे हैं और किसानों को कम खर्च में अधिक उत्पादन मिल रहा है।

हाइब्रिड करेले की सदाबहार किस्मों की खेती के लिए मौसम की कोई सीमा नहीं है। इसलिए कई किसान विभिन्न क्षेत्रों में हाइब्रिड करेले उगाकर अच्छा पैसा कमा रहे हैं। इनके फल 12 से 13 सेमी लंबे और 80 से 90 ग्राम वजन के होते हैं। हाइब्रिड करेले उगाने पर एक एकड़ में 72 से 76 क्विंटल उत्पादन मिलता है, जो सामान्य से बहुत अधिक है।

हाइब्रिड करेला कम मेहनत में देसी करेले के मुकाबले अधिक उत्पादन देता है। काफी किसान अब भी देसी करेले की खेती कर रहे हैं, लेकिन ध्यान दें कि हाइब्रिड करेले के पौधे तेजी से बढ़ते हैं और इनके फल काफी बड़े होते हैं। इनकी संख्या अधिक होती है। इनकी खेती भी देसी करेला की तरह ही की जाती है। हालाँकि, हाइब्रिड करेले का रंग और स्वाद बेहतर होता है, इसलिए इसके बीज कुछ अधिक महंगे होते हैं।

जो किसान करेले की हाइब्रिड क़िस्मों की खेती करना चाहते हैं, वो इन क़िस्मों में से अनुकूल किस्म का चुनाव कर सकते हैं: कोयंबटूर लौंग और प्रिया उत्पादन के मामले में अग्रणी हैं। करेले की बेहतरीन हाइब्रिड किस्मों में पूसा टू सीजनल, पूसा स्पेशल, कल्याणपुर, कोयंबटूर लॉन्ग, कल्याणपुर सोना, बारहमासी करेला, प्रिया सीओ-1, एसडीयू-1, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हारा, सोलन और बारहमासी भी शामिल हैं। बता दें कि, हाइब्रिड करेले की खेती करने के लिए खेत में अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया मानी जाती है। इसलिए किसानों को करेले की हाइब्रिड क़िस्मों की खेती शुरू करने से पहले इस बात का ज़रूर ध्यान रखना चाहिए।

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