कृषि पिटारा

केले की खेती से किसान कर सकते हैं तगड़ी कमाई

नई दिल्ली: देश के किसान अब गेहूं और मक्का जैसी पारंपरिक फसलों से हटकर नकदी फसलों की ओर तेजी से रुख कर रहे हैं, जिसमें केले की खेती किसानों के लिए लाभकारी साबित हो रही है। केले की खेती को हर मौसम में बाजार में मांग मिलती रहती है, जिससे किसान सालभर पैदावार करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। यह खेती उन क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है जहां जलवायु गर्म और सम है, और जहां पर वर्षा अधिक होती है।

केला: एक नकदी फसल

केले की खेती के लिए जलवायु का सही होना जरूरी है। इसे जीवांश युक्त दोमट मिट्टी में किया जा सकता है, जिसमें जल निकासी अच्छी होनी चाहिए। केले की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 के बीच होना आवश्यक है। यदि मिट्टी बहुत अधिक अम्लीय या क्षारीय है, तो केले की उपज में बाधा आ सकती है। खेत की मिट्टी की जांच करके उसकी उर्वरता को मापना भी महत्वपूर्ण है ताकि आवश्यक पोषक तत्वों की आपूर्ति की जा सके।

केले की किस्में और खेती की तैयारी

केले की खेती के लिए कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं, जैसे कि सिंघापुरी का रोबेस्टा, बसराई, ड्वार्फ, हरी छाल, सालभोग, और अल्पान। केले की खेती की शुरुआत में खेत में ढेंचा या लोबिया जैसी हरी खाद की फसल लगाकर मिट्टी को पोषक तत्वों से भरपूर किया जाता है। खेत को समतल करने के बाद, आवश्यक खाद और उर्वरक डालकर पौधों की रोपाई की जाती है।

खेती की लागत और पैदावार

बारिश के मौसम से पहले जून में केले के लिए गड्ढे तैयार किए जाते हैं और उनमें खाद और उर्वरक मिलाकर पौधों की रोपाई की जाती है। महाराष्ट्र में केले की खेती के लिए जून-जुलाई का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है, जबकि रबी के मौसम में अक्टूबर-नवंबर भी बेहतर होते हैं। टिशू कल्चर तकनीक से केले की खेती को सालभर किया जा सकता है, खासकर उन किसानों के लिए जो ड्रिप सिंचाई की सुविधा रखते हैं। केले की यह नकदी फसल किसानों के लिए बेहतर मुनाफा प्रदान करती है, और पूरे साल इसके उत्पाद का बाजार में अच्छा मूल्य मिलता है।

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