नई दिल्ली: स्वीट कॉर्न के स्वाद को सभी पसंद करते हैं, खासकर शहरों में इसकी काफी मांग रहती है। यह एक विशेष प्रकार की मक्की होती है, जिसकी कटाई पकने से पहले होती है और इसे ‘दूधिया’ स्थिति में ही खाया जाता है। स्वीट कॉर्न को भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बहुत पसंद किया जाता है। यह न केवल स्वाद के लिहाज से बल्कि कमाई के लिहाज से भी एक अति महत्वपूर्ण फसल है। यह किसानों के लिए कमाई का एक बड़ा अवसर देती है। स्वीट कॉर्न भारत भर में उगाई जाती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में इसका सबसे अधिक उत्पादन होता है।
स्वीट कॉर्न की खेती मक्के की खेती की तरह होती है। इसका एक विशेष फायदा यह है कि इस फसल की कटाई पकने से पहले कर ली जाती है, जिससे किसानों को जल्दी मुनाफा मिलता है। स्वीट कॉर्न के साथ, फूलों की खेती करने से किसान एक ही समय में दोगुना फायदा कमा सकते हैं। किसान गेंदा, ग्लेडियोलस और मसालों की सहफसली खेती करके अपने मुनाफे में बढ़ोतरी कर सकते हैं। इसके अलावा, किसान एक ही खेत में धनिया, पालक, मटर और गोभी जैसी फसलें भी उगा सकते हैं।
स्वीट कॉर्न की कटाई प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है। जब फसल कटाई के लिए तैयार होती है तब भुट्टों से दूधिया पदार्थ निकलने लगता है। फसल की कटाई सुबह या शाम में करने से काफी सहूलियत होती है, क्योंकि इस समय फसल तरोताजा रहती है। फसल कटाई के बाद इसे ज्यादा समय तक नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे इसकी मिठास कम हो सकती है।
स्वीट कॉर्न की खेती के लिए हमेशा विकसित किस्मों का चयन करें। कीट-रोधी किस्मों को प्राथमिकता दें, क्योंकि ये काफी कम समय में तैयार हो जाती हैं। खेत की तैयारी के दौरान जल निकासी को नियंत्रित करें, ताकि खेत में फसल के रहने के दौरान जल भराव की स्थिति ना उत्पन्न हो। स्वीट कॉर्न को आप रबी और खरीफ दोनों सीजन में बो सकते हैं।