नई दिल्ली: हल्दी एक ऐसी फसल है, जिसका उपयोग भारत में मसाला, रंग, औषधि और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। हल्दी का वैज्ञानिक नाम कुर्कुमा लोंगा है, जो जिंजर के परिवार का सदस्य है। हल्दी का उत्पादन कंदों से होता है, जो जमीन के नीचे बढ़ते हैं। हल्दी के कंदों में कुर्कुमिन नामक एक प्रभावशाली पदार्थ होता है, जो इसे पीला रंग और औषधीय गुण देता है।
हल्दी की खेती करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जैसे कि जलवायु, मिट्टी, किस्म, रोपाई, खाद, सिंचाई, रोग-कीट, कटाई और संग्रहण। आगे हम इन बातों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
हल्दी एक उष्णकटिबंधीय फसल है, जिसे 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान और 1200 से 1400 मिलीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है। हल्दी को अधिक गर्मी या ठंड से नुकसान पहुंच सकता है। हल्दी की रोपाई के लिए, अप्रैल से जून का महीना उपयुक्त होता है। जबकि इसकी कटाई के लिए जनवरी से मार्च का महीना अच्छा होता है।
हल्दी की खेती के लिए उपजाऊ, जलोढ़, दोमट या लैटेराइट मिट्टी, जिसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो, उत्तम होती है। इस फसल की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 5.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इसकी खेती से पहले मिट्टी को अच्छी तरह से जोतना और खुरचना जरूरी है, ताकि कंदों को विकास करने में कोई बाधा न हो। इस दौरान मिट्टी में जल ठहरने की स्थिति से बचना चाहिए, क्योंकि यह कंदों को सड़ा सकता है।
हल्दी की विभिन्न किस्में हैं, जो अलग-अलग रंग, आकार, रस, गुण और उत्पादन क्षमता के आधार पर भिन्न होती हैं। कुछ प्रमुख किस्में निम्नलिखित हैं:
सी.एल. 326 माइडुकुर: यह किस्म लीफ स्पॉट रोग की प्रतिरोधक है। इसके कंद लम्बे, चिकने और चपटे होते हैं। इसकी पकने में 9 महीने लगते हैं। इसका उत्पादन 200 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। इसके सूखने पर 19.3 प्रतिशत हल्दी मिलती है।
सी.एल. 327 ठेकुरपेन्ट: यह किस्म भी लीफ स्पॉट रोग की प्रतिरोधक है। इसके कंद लम्बे, चिकने और चपटे होते हैं। इसकी पकने में 8 महीने लगते हैं। इसका उत्पादन 250 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। इसके सूखने पर 20.5 प्रतिशत हल्दी मिलती है।
सौरमा: यह किस्म बिहार की प्रसिद्ध है। इसके कंद लम्बे, मोटे और गोल होते हैं। इसकी पकने में 7 महीने लगते हैं। इस किस्म का उत्पादन 350 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है।
उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए आप अपने क्षेत्र की जलवायु व मिट्टी के अनुकूल किस्म का चुनाव कर हल्दी की खेती शुरू कर सकते हैं। इससे आपको अच्छी आमदनी प्राप्त करने में मदद मिलेगी।