नई दिल्ली: बाजार में अब आम की आवक तेजी से बढ़ रही है। उत्तर भारत के लगभग सभी इलाकों में आम के फल अब पकने शुरू हो चुके हैं। लेकिन ठीक इसी बीच आम के किसानों के सामने एक खतरा भी मँडराने लगा है। दरअसल, इन दिनों किसान एक मक्खी से परेशान हैं। यह मक्खी आम के फलों को बड़े पैमाने पर नुकसान पुहंचा रही है। इससे फलों की गुणवत्ता पर बहुत असर पड़ रहा है और न चाहते हुए भी किसान घाटा उठाने पर मजबूर हैं।
इस समस्या को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र बिहार द्वारा किसानों के लिए कार्यशाला का आयोजन कर इस मक्खी से निपटने का तरीका बताया जा रहा है। विभाग ने किसानों से कहा है कि फेरोमेन ट्रैप से मक्खी का संक्रमण बड़ी आसानी से कम किया जा सकता है और उसे पूरी तरह से रोका जा सकता है।
आम तौर पर यह देखा गया है कि अभी तक मक्खी के कारण आम के बगीचों में 50 से 80 प्रतिशत तक नुकसान हो रहा है। यह मक्खी आम के फलों के अंदर फल लगने के पश्चात् अंडे देना शुरू कर देती है। कुछ समय के बाद इस मक्खी के अंडों से लारवा निकलता है, जो फल को अंदर ही अंदर खाना शुरू कर देता है। इसका परिणाम यह होता है कि आम का फल सड़ने लगता है। फिर सड़े हुए फल के बगीचों में गिरने की वजह से मक्खी की संख्या पुनः बढ़ने लगती है।
इस मक्खी की रोकथाम के लिए सबसे आसान विधि यह है कि फल भेदक मक्खी को प्रौढ़ अवस्था में ही मार दिया जाए। इसके लिए आप किसान फेरोमोन ट्रैप का उपयोग कर सकते हैं। इसे ट्रैप को लगाने का उपयुक्त समय फल लगने के बाद से फल तोड़ने तक की अवधि है। आम के 1 एकड़ क्षेत्रफल के लिए 4 से 5 फेरोमेन ट्रैप का उपयोग होता है। साथ ही साथ बगीचे में सड़े हुए फलों को एकत्रित करके गड्ढे में दबा देने की सलाह भी दी जाती है। इसके अलावा फल को तोड़ने के 3 सप्ताह पहले नीम का तेल 1 प्रतिशत प्रति लीटर पानी का घोल बनाकर छिड़काव करना जरूरी है। यही नहीं, फल लगने के पश्चात् 15 से 20 दिन के अंतराल पर बगीचे की जुताई के साथ ही खरपतवार को हटाते रहना चाहिए। इससे भी आम के फल को नुकसान पहुंचाने वाली मक्खी के प्रकोप पर नियंत्रण होता है।