कृषि पिटारा

बागवानी फसलों की खेती करने वाले किसान कर सकते हैं केले की इन उन्नत क़िस्मों की खेती

नई दिल्ली: केला (Banana) एक महत्वपूर्ण फल है। इसे फल के अलावा कई रूपों में भी खाया जाता है। इसलिए इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। बागवानी फसलों की खेती करने वाले किसान केले की खेती से बढ़िया लाभ कमाते हैं। कई अन्य फसलों की खेती की तरह केले की खेती से बढ़िया उपज पाने की संभावना भी इस बात से बढ़ जाती कि इसकी उन्नत किस्म की बुआई की गई है अथवा नहीं। केले की कई उन्नत किस्में हैं, जिनमें से कुछ विशेष गुणवत्ता और फायदे प्रदान करती हैं। इस फसल की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर आप बढ़िया मुनाफा का सकते हैं, जैसे:

कवेंदिश (Cavendish): यह किस्म केले की सबसे आम और प्रसिद्ध किस्म है। यह बाजार में आमतौर पर पाया जाता है। इसके फल लम्बे, सुंदर और पीले रंग के होते हैं। कवेंदिश केला अधिकतर खस्ता फल रूप में खाया जाता है और यह अधिक विक्रय के लिए उपयुक्त होता है।

रेड ब्लू केला (Red Banana): इसमें पीले रंग की तुलना में लाल रंग के छिद्र वाली पील होती है, इसके कारण इसे “रेड ब्लू” कहा जाता है। यह केला मिठा और स्वादिष्ट होता है और इसका भी खस्ता रुप से अधिक उपयोग किया जाता है।

पिसांग अबू (Pisang Abu): यह उन्नत केले की किस्म पूरे विश्व में मशहूर है। इसके फल अधिक बड़े होते हैं और उनका स्वाद भी बेहद अच्छा होता है।

ग्रैंड नेनस (Grand Nain): यह केले की किस्म उन्नत और अधिक उत्पादकता वाली है। इसके पेड़ छोटे होते हैं व इसके फल बड़े और स्वादिष्ट होते हैं।

राजा पुरी (Raja Puri): इस केले की किस्म के फल बड़े और गोल होते हैं। इसकी पील अधिक हल्की होती है। इसका स्वाद मीठा और अद्वितीय होता है।

बासरी केला (Basrai Banana): इस केले की उन्नत किस्म के फल बड़े होते हैं और उनका रंग पीला होता है। इसका स्वाद मीठा और गंध महकदार होती है।

नेंद्रपूरी (Nendran): यह केले की किस्म दक्षिण भारत, खेरा और केरल में प्रमुख रूप से पैदा की जाती है। इसका उपयोग वस्त्रों और कुछ उत्पादों के लिए किया जाता है। इसकी खेती बनारस, तिरुवनंथपुरम और कुम्भाकोणम जैसे स्थानों की परम्परागत रूप से की जाती है।

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