नई दिल्ली: किसानों को सिंचाई सुविधा मुहैया करवाने के लिए 01 जुलाई 2015 से केंद्र सरकार ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ चला रही है। इस योजना के जरिये उन किसानों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी जो सिंचाई की चुनौतियों से जूझ रहे हैं। यह योजना किसानों को न केवल बेहतर उपज प्राप्त कर पाने में बल्कि कृषिगत कार्यों में होने वाली लागत को भी कम करने में मददगार साबित होगी। क्योंकि यह एक ज्ञात तथ्य है कि एक किसान को कृषि से जुड़े विभिन्न मदों जो खर्च करना होता है उसका एक बड़ा हिस्सा खेत में सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाने में जाता है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार योजना के कुल संभावित खर्च का 75 प्रतिशत हिस्सा वहन कर रही है। बाकी बोझ राज्य सरकारें उठा रही हैं। वह कृषि क्षेत्र जो ऊंचाई वाले स्थान पर है, उसके लिए केंद्र सरकार 90 प्रतिशत खर्च एवं राज्य सरकारें 10 प्रतिशत खर्च वहन करेंगी। योजना के पंजीकरण के लिए किसान के पहचान के लिए आधार कार्ड, भूमि की पहचान के लिए खतौनी और अनुदान प्राप्त करने के लिए बैंक पासबुक के पहले पन्ने की फोटो कॉपी देनी होगी।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के साथ एक शर्त भी निर्धारित की गयी है। वो ये कि, यदि किसी किसान को एक बार इस योजना का लाभ मिल जाता है तो वह 7 साल के बाद ही फिर से योजना का लाभ लेने के योग्य हो सकेगा। जहाँ तक सवाल है कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत कौन से किसान लाभ के हकदार होंगे? तो इस योजना का लाभ सभी वर्ग के किसानों को मिल सकता है। योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान के पास खुद की खेती एवं जल स्रोत उपलब्ध होने चाहिए। सहकारी समिति के सदस्यों, स्वयं सहायता समूहों, पंचायती राज संस्थाओं, गैर सहकारी संस्थाओं और किसान संगठनों के अलावा उन किसानों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा जो संविदा पर खेती करते हैं।
देश भर में सिंचाई से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के जरिये हर खेत तक किसी न किसी माध्यम से सिंचाई सुविधा सुनिश्चित करने का लक्ष्य तय किया है, ताकि ‘हर बूंद अधिक फसल’ प्राप्त की जा सके। इस योजना के जरिये कुछ और लक्ष्य भी रखे गए हैं। जैसे –
कृषि योग्य भूमि का विस्तार करना और विस्तारित भूमि के लिए सिंचाई का प्रबंधन करना।
सिंचाई के लिए निवेश में एकरूपता लाना।
‘हर खेत हो पानी’ मंत्र के तहत कृषि योग्य क्षेत्र का विकास करने के लिए खेतों में ही जल को इस्तेमाल करने की दक्षता बढ़ाना ताकि पानी की बर्बादी को कम किया जा सके।
जिला तथा राज्य स्तर पर सिंचाई योजना तैयार कर किसानों के खेतों तक जल को पहुँचाना।
जलाशयों को दोबारा भरना।
वर्षा के जल का संरक्षण।
ड्रिप व स्प्रिंकलर के जरिये सिंचाई सुनिश्चित करना।
विभिन्न जल स्रोतों की मरम्मत करवाना।
जहाँ भी सिंचाई के लिए पानी कम है, वहाँ वितरण व्यवस्था को ठीक करना।
भूजल विकास व लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से खेतों में पानी पहुँचाना।