कृषि पिटारा

गन्ने की बुआई में इस तकनीक के जरिये किसानों को मिलती है बेहतर उपज

नई दिल्ली: कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, गन्ने की वसंतकालीन फसल की बुआई के लिए फरवरी और मार्च का समय सर्वोत्तम होता है। लेकिन उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के किसान अक्सर अप्रैल में गन्ने की बुआई करते हैं, जिससे उनकी उपज में कमी होती है। इस समस्या को दूर करने के लिए गन्ना किसान बड़ चिप्स तकनीक का उपयोग कर सकते हैं जिससे उन्हें बेहतर गन्ने की पैदावार मिल सकती है।

इस तकनीक के मुताबिक, गन्ने के खेतों में अगर रबी फसलों के बाद खाली जगह है तो 40-45 दिन पहले गन्ने की नर्सरी पौध तैयार की जाती है और जब रबी फसलों से खेत खाली हो जाते हैं तो उनमें गन्ने की बुआई की जाती है। इससे देर से बुआई में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है और गन्ने की बेहतर उपज मिल सकती है।

इस तकनीक का एक अन्य लाभ यह है कि इसमें गन्ने के बीजों की मात्रा भी कम होती है, जिससे किसान को बीजों की लागत पर कम खर्च करना पड़ता है। इस तरह, किसान अपनी लागत को कम करके और अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं।

परंपरागत तकनीक की तुलना में, जब रबी फसलों से खेत खाली होता है तो किसान गन्ने की तीन आंख या दो आंख के बीज सीधे खेतों में बोते हैं, मगर बड़ चिप्स तकनीक में गन्ने की नर्सरी पौध तैयार की जाती है और जब रबी फसलों से खेत खाली हो जाते हैं तब गन्ने बुवाई की जगह रोपाई की जाती है। इस तकनीक में पहले गन्ने की नर्सरी उगाई जाती है और फिर नर्सरी पौधों को खेत में सावधानीपूर्वक रोपा जाता है। इससे प्रति एकड़ अधिक उपज प्राप्त होती है और किसान के लाभ में वृद्धि होती है।

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