कृषि पिटारा

बिहार के किसान यूरिया की किल्लत से परेशान, कालाबाजारी करने वाले सक्रिय

पटना: बिहार के किसान इस समय खाद की भारी किल्लत का सामना कर रहे हैं। उन्हें इस बात की चिंता है कि यदि समय पर खाद की उपलब्धता न हुई तो उनकी फसल पिछ्ड़ जाएगी व इसका प्रभाव उत्पादन पर भी पड़ेगा। हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी प्रयाप्त मात्रा में खाद की सप्लाई की जा रही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र के दावे के बावजूद भी राज्य में किसानों को यूरिया की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

इस बारे पूछे जाने पर बिहार के कृषि सचिव एन सरवन कुमार ने कहा कि बिहार को हाल ही में खरीफ सीजन के लिए केंद्र द्वारा आवंटित यूरिया की तुलना में 32 प्रतिशत कम यूरिया प्राप्त हुआ है। राज्य को जनवरी महीने के लिए आवंटित 10,30,000 मीट्रिक टन यूरिया में से लगभग 7,00,105 मीट्रिक टन ही प्राप्त हुआ है। वहीं, पिछले साल दिसंबर में आवंटित क्षमता से 97 प्रतिशत ज्यादा यूरिया की आपूर्ति हुई थी। जबकि पिछले साल अक्टूबर और नवंबर में, राज्य को वादा किए गए राशि की तुलना में लगभग 60 प्रतिशत यूरिया आपूर्ति प्राप्त हुई। हालांकि यूरिया की आपूर्ति पिछले महीने बढ़ी है, लेकिन अभी भी पूरे खरीफ सीजन की सीमा की तुलना में कुल उर्वरक की कमी 32 प्रतिशत है।

हालांकि विभाग को उम्मीद है कि जनवरी में भी बिहार को अपना उचित आवंटन मिल सकेगा। सिंचाई के समय हुई यूरिया की समस्या की वजह से कालाबाजारी करने वाला गुट सक्रिय हो गया है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। 260 के सरकारी मूल्य की तुलना में, अभी यूरिया का 50 किलो का पैकेट कथित तौर पर 350-400 रुपये के बीच बेचा जा रहा है।

आपको बता दें कि, इस महीने यूरिया की कमी को लेकर सभी जिला कृषि पदाधिकारियों (डीएओ) को पंचायत स्तर तक किसानों को खाद के परिवहन और वितरण पर नजर रखने के निर्देश दिये गये हैं। इस खरीफ सीजन के दौरान, राज्य भर में 6,200 उर्वरक दुकानों पर छापे मारे गए और यूरिया संकट के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ 117 प्राथमिकी दर्ज की गई है।

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