नई दिल्ली: भारत में महोगनी की खेती पहाड़ी इलाकों को छोड़कर सभी मैदानी इलाकों में की जा सकती है। ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में महोगनी के पेड़ की पत्तियों, बीज और लकड़ी की बहुत मांग है। इसकी पत्तियों का इस्तेमाल खेती-बाड़ी के लिए कीटनाशक तैयार करने में भी होता है। महोगनी की पत्तियों के तेल का इस्तेमाल साबुन, पेंट और वार्निस उद्योग में किया जाता है।
महोगनी की खेती करने के लिए सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करने के बाद पाटा लगाकर खेत को समतल कर लें। अब इसमें 5 से 7 फुट की दूरी पर 3×2 का गड्ढा तैयार कर लें। इसके बाद पंक्ति से पंक्ति की दूरी 4 मीटर होनी चाहिए। अब इन गड्ढों में गोबर और रासायनिक खाद को मिट्टी में मिलाकर भर दें। अब इनकी अच्छी तरह से सिंचाई कर दें। कुछ समय बाद इन गड्ढों में महोगनी के पौधों की रोपाई कर दें। पानी वाली और पथरीली मिट्टी में महोगनी का पौधा न लगाएं। पौधे लगाते समय तेज गर्मी या ज्यादा सर्दी वाले मौसम से बचना चाहिए।
बाजार में अच्छी किस्म का पौधा 100 से 150 रुपये तक में मिल जाएगा। एक एकड़ खेत में महोगनी की खेती करने पर एक से डेढ़ लाख रुपये की लागत आएगी। महोगनी के पेड़ के हर हिस्से को बाजार में अच्छी कीमत पर बेचा जा सकता है। इसकी लकड़ी का इस्तेमाल पानी के जहाज, मूर्ति, सजावटी सामान और संगीत के वाद्य यंत्र बनाने के लिए किया जाता है।
महोगनी का पेड़ लगाने का सही समय सर्दी का होता है। क्योंकि इसे ज्यादा गर्मी और सर्दी से बचाना होता है। महोगनी के पौधे को अंकुरित और विकसित होने के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है, सर्दियों के मौसम में 15 और गर्मियों के मौसम में 35 डिग्री के तापमान में अच्छे से विकास करते है।