नई दिल्ली: केंद्र सरकार सहित विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा किसानों को पराली जलाने से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन इन प्रयासों के बावजूद भी पराली जलाने की घटनाएँ आमतौर पर देखने को मिल रही हैं। लेकिन अब ऐसा करना किसानों के लिए भारी पड़ सकता है। क्योंकि सरकार ने पराली जलाने के कारण बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए नया नियम बनाया है। इसके अनुसार पराली जलाने पर किसानों से 15 हजार रुपए तक जुर्माने के रूप में वसूले जाएंगे। केंद्र सरकार ने पराली जलाने पर किसानों से 2,500 रुपए से लेकर 15,000 रुपए तक जुर्माना वसूलने की घोषणा की है। माना जा रहा है कि सरकार के इस कदम से किसान पराली जलाने से परहेज करेंगे।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, पराली जलाने पर एनसीआर और आस-पास के क्षेत्रों में दो एकड़ से कम भूमि वाले किसान को 2,500 का पर्यावरणीय मुआवजा देना होगा, जबकि यह राशि 5,000 तक जा सकती है। वहीं जिन किसानों के पास पांच एकड़ से अधिक जमीन है, नियमानुसार पर्यावरण को दूषित करने के लिए उनपर 15,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली की सरकारें अब इस मुआवजे की प्रक्रिया का पालन करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं।
आपको बता दें कि सरकार ने पराली प्रबंधन की दिशा में कई कदम उठाए हैं। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व दिल्ली को केंद्र द्वारा पराली प्रबंधन के लिए 3 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इसमें सबसे ज्यादा लगभग साढ़े 14 सौ करोड़ रुपए पंजाब को दिए गए हैं, हरियाणा को 900 करोड़ रुपए से ज्यादा, 713 करोड़ रुपए उत्तर प्रदेश को व दिल्ली को 6 करोड़ रुपए से अधिक दिए गए हैं। इसमें से लगभग एक हजार करोड़ रुपए राज्यों के पास बचे हुए हैं, जिसमें से 491 करोड़ रुपए पंजाब के पास उपलब्ध है। केंद्र द्वारा प्रदत्त सहायता राशि से राज्यों को पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध कराई गई 2.07 लाख मशीनों के उपयोग से इस समस्या का व्यापक समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है।