नई दिल्ली: आने वाले समय में केंद्र सरकार देश के किसानों को जीएम सरसों की सौगात दे सकती है। इसके लिए सरकार द्वारा स्थानीय तौर पर विकसित जीएम सरसों के लिए जल्द से जल्द मंजूरी लेने की कोशिशें की जा रही हैं। फिलहाल जीएम सरसों के बीजों को पर्यावरण से संबंधित मंजूरी मिल चुकी है। अभी हाल ही में विश्व के एक बड़े न्यूज एजेंसी ने जीएम सरसों से संबन्धित प्रगति को लेकर अपनी खबर दी थी। जीएम-फ्री इंडिया के गठजोड़ ने कहा है कि जीएम सरसों के आकलन और मंजूरी के दौरान, जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रैजल कमेटी (GEAC) ने बायो सुरक्षा रेगुलेशन्स का उल्लंघन किया था। खबर के मुताबिक, GEAC के फैसले पर गंभीर रेगुलेटरी में लापरवाही के आरोप लगे हैं।
सरकार ने इसका जवाब देते हुए एक बयान में कहा कि GEAC ने कई सालों के दौरान इक्ट्ठा किए गए संबंधित डेटा के लंबे ट्रायल और कड़ी जांच के बाद जीएस सरसों को मंजूरी दी है। उसने कहा कि रेगुलेटर ने जीएम सरसों की फसल को मंजूरी देने के लिए हर गाइडलाइन का पालन किया है।
आपको बता दें कि जीएम यानी जेनेटिक मॉडिफिकेशन में किसी प्लांट सेल में नए डीएनए को डाला जाता है और इस प्रकिया से तैयार हुए पौधे में नया डीएनए अपनी नई खासियत के साथ विकसित हो जाता है। इस प्रकिया की मदद से वैज्ञानिक किसी पौधे में अपने हिसाब से बदलाव लाने की कोशिश करते हैं। इससे पौधों में कई तरह के बदलाव लाए जा सकते हैं जैसे वो प्लांट कैसे और किन परिस्थितियों में पनपाया जा सकता है या फिर उस पौधे में किसी बीमारी के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित की जा सकती है। इससे उपज को बढ़ाया जा सकता है। वहीं उपज में अलग अलग फायदेमंद तत्वों का हिस्सा बढ़ाया जा सकता है।