भारत में गेहूं की खेती के साथ-साथ विदेशों में भी इसका निर्यात किया जाता है। इसलिए किसानों को इसका उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत किस्मों की खेती करने की सलाह दी जाती है। लेकिन गेहूं की बुवाई को लेकर किसानों के मन में कई तरह की शंका रहती हैं, जैसे कि बुवाई कब करें, किस विधि से बुवाई करें, या फिर बुवाई के लिए कौन से बीज का चुनाव करें जिससे गेहूं की अधिक पैदावार ले सकें। इस समस्या का समाधान प्रदान करते हुए, गेहूं की उन्नत किस्म DBW 327 को किसानों को सलाह दी जा रही है।
गेहूं की उन्नत किस्म DBW 327 की उत्पादकता आईसीएआर के मुताबिक लगभग 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यह खास किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर को डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है। इसकी खेती सिंचाई के अभाव वाले इलाकों में भी की जा सकती है।
गेहूं की यह खास किस्म सूखे के प्रति सहनशील है और उच्च तापमान में भी अच्छी उपज मिलती है। DBW 327 किस्म में आयरन की मात्रा 39.4 पीपीएम तथा जिंक की मात्रा 40.6 पीपीएम है। इसकी खेती के लिए बुवाई के 155 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती है और चपाती के लिए उपयुक्त है।
इसके साथ ही, गेहूं की उन्नत किस्म DBW 327 की खेती उन क्षेत्रों में भी संभव है जहां सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसकी उपजाएं बढ़ाकर किसानों को अधिक लाभ होगा और उन्हें इसमें रुचि भी बढ़ेगी। गेहूं की खेती को आसान बनाने वाली इस उन्नत किस्म के अनुसरण से किसानों को नई राह मिल सकती है और उन्हें बेहतर उत्पादकता के दिशा में एक पूरी उम्मीद हो सकती है।