नई दिल्ली: भारतीय खाद्य निगम (Food Corporation of India, FCI) गेहूं और चावल की महंगाई को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। FCI खुले बाजार में 8 लाख टन गेहूं और चावल की नीलामी करने की योजना बना रहा है। इस नीलामी की प्रारंभिक तिथि 5 जुलाई है। हाल ही में गेहूं और चावल के दामों में बढ़ोतरी देखी गई है, इसलिए सरकार ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (OMSS) के तहत खुले बाजार में अनाज बेच रही है। इसके लिए राज्यों के आवश्यकतानुसार टेंडर जारी किए गए हैं। FCI इस टेंडर के माध्यम से चार-चार लाख टन गेहूं और चावल की नीलामी करेगा। OMSS में योजना यह है कि जब सरकार खुले बाजार में अनाज बेचेगी, तो सप्लाई बढ़ेगी और मांग की पूर्ति संभव होगी। सप्लाई में वृद्धि के कारण गेहूं और चावल के मूल्य में कमी होगी।
नयी योजना के अनुसार, सरकार हर हफ्ते गेहूं और चावल की नीलामी करेगी, पहले एक हफ्ते में गेहूं और दूसरे हफ्ते में चावल की। हालांकि, इस प्रयास के बावजूद भावों में कोई बड़ी नरमी नहीं देखी गई है, इसलिए सरकार ने हर हफ्ते गेहूं और चावल को साथ में बेचने का फैसला लिया है। इसी तरीके से, 5 जुलाई को FCI आठ लाख टन गेहूं और चावल की नीलामी करने जा रहा है।
सरकार राज्यों को बराबर मात्रा में गेहूं और चावल दे रही है और उनकी आवश्यकताओं का ध्यान रख रही है। हालांकि, नीलामी के पहले दौर में पंजाब को अधिक चावल दिया गया है क्योंकि FCI के पास उस राज्य में अधिक स्टॉक है। व्यापारियों के मध्य इस निर्णय के खिलाफ कुछ आपत्ति है। उनका विचार है कि पंजाब में अधिक गेहूं की खपत होती है, लेकिन उसके बावजूद चावल को अधिक आवंटित किया गया है। दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि पंजाब ने FCI को अधिक चावल बेचा है, इसलिए ओपन मार्केट सेल्स स्कीम में वहां चावल की बिक्री भी अधिक हो रही है।
OMSS के तहत, मध्य प्रदेश, हरियाणा, असम, छत्तीसगढ़, और तेलंगाना में चावल की बिक्री अभी तक नहीं हो रही है क्योंकि वहां रबी धान की सरकारी खरीद जारी है। वर्तमान मौसम में सरकार 1 क्विंटल धान की खरीद पर 2060 रुपये की दर से ध्यान दे रही है, जिससे चावल के भाव 3075 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। FCI ने अपनी पहली नीलामी में बिहार को 30,000 टन चावल आवंटित किया है, जबकि उत्तर प्रदेश को 15,000 टन और पश्चिम बंगाल को 2,300 टन चावल दिया गया है।
एफसीआई ने चावल की बिक्री के लिए कुछ विशेष नियम बनाए हैं। उदाहरण के लिए, चावल की खरीद करने वाले व्यापारियों को FSSAI की लाइसेंस की आवश्यकता होती है और उन्हें थोक विक्रेताओं को चावल नहीं बेचना चाहिए। एक व्यापारी या कंपनी 100 टन तक चावल या गेहूं खरीद सकती है।