नई दिल्ली: बरसात के मौसम में पशुओं को हरा चारा खिलाने के मामले में एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि यह फायदे से ज्यादा नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, मॉनसून के दौरान पशुओं को ताजा हरा चारा कम मात्रा में खिलाना चाहिए और उन्हें खुले में चरने के लिए केवल तब भेजना चाहिए जब बहुत मजबूरी हो। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में अगर पशु को ज्यादा हरा चारा खिलाया जाए तो इससे डायरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। इसके साथ ही, हरे चारे में मौजूद नमी के कारण दूध की क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है। विशेषज्ञों ने यह भी सुनिश्चित करने की सलाह दी है कि मॉनसून के दौरान उगे हरे चारे को साइलेज बनाकर स्टोर किया जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार पशुओं को दिये जाने वाले हरे चारे का सही तरीके से प्रबंधन करने के लिए पतले तने वाली फसल का चयन करें और उसे सही तरीके से स्टोर करें। चारे को सुखाने के लिए जमीन पर नहीं डालना चाहिए, बल्कि उसे ऊंची जगह पर लटका कर सुखाने से फंगस आदि की शिकायत कम हो जाती है। सूखे चारे को खिलाने से चारे में मौजूद नमी का स्तर सामान्य हो जाता है और दूध की क्वालिटी भी बेहतर रहती है। इस समय, किसानों को यह सलाह दी जा रही है कि वे अपने पशुओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखें और मॉनसून के मौसम में उगे हरे चारे का सही तरीके से प्रबंधन करें।
पशु विशेषज्ञों की मानें तो पशु को सूखे चारे के तौर पर कई तरह का भूसा दिया जा सकता। वहीं मिनरल्स में खल, बिनौले, चने की चूनी आदि दी जा सकती है। कई बार ज्यादा लम्बे वक्त तक सुखाने के चलते भी चारे में फंगस की शिकायत आने लगती है। जिस चारे को स्टोर करना है उसे पकने से कुछ दिन पहले ही काट लें। इसके बाद उसे धूप में सुखाने के लिए रख दें। जब चारे में 15 से 18 प्रतिशत के आसपास नमी रह जाए, यानि चारे का तना टूटने लगे तो उसे सूखी जगह पर रख दें। इस बात का ख्याल रहे कि अगर चारे में नमी ज्यादा रह गई है तो उसमे फंगस आदि लग जाएंगे और चारा खराब हो जाएगा। इतना ही नहीं अगर इस खराब चारे को गलती से भी पशु ने खा लिया तो वो बीमार हो जाएगा।