खेती-किसानी

उत्तर प्रदेश के आम बागानों में तैयारियों का अंतिम दौर- इस बार आम की फसल अच्छी, निर्यात और गुणवत्ता पर फोकस

लखनऊ: भारत आम उत्पादन में वैश्विक नेतृत्व करता है और इसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। देश के कुल आम उत्पादन का लगभग 60 प्रतिशत भारत में होता है, जिसमें एक-तिहाई हिस्सा उत्तर प्रदेश से आता है। इसीलिए आम, यूपी के लिए महज एक फल नहीं, बल्कि कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन गया है। योगी सरकार आम उत्पादन, गुणवत्ता सुधार और निर्यात में लगातार प्रगति के लिए वैज्ञानिक सहयोग – खासकर इज़राइल जैसे देशों की तकनीकी मदद से – नए आयाम जोड़ रही है।

इस वर्ष आम की फसल न केवल अच्छी साइज में है, बल्कि 75 प्रतिशत परिपक्वता भी प्राप्त कर चुकी है। अनुमान है कि अगले तीन हफ्तों में यह बाजार में पहुंच जाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक इस बार फसल की गुणवत्ता और फलत दोनों संतोषजनक हैं, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी की उम्मीद है।

कीट प्रकोप का खतरा: जोड़ा और कटर कीट से रहें सतर्क

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, रहमानखेड़ा के कीट विशेषज्ञ डॉ. एच.एस. सिंह ने आगाह किया है कि जो किसान आम की फलों की बैगिंग कर चुके हैं, उनकी फसल अपेक्षाकृत सुरक्षित है। परंतु जिन बागवानों ने यह उपाय नहीं किया है, उनकी फसल दुदवा (जोड़ा कीट) और सेमीलूपर (कटर कीट) के प्रति संवेदनशील बनी हुई है। इन कीटों का प्रभाव गर्मी के साथ तेज़ होता है और इस बार मौसम विभाग तथा ज्योतिषीय पूर्वानुमानों के अनुसार 18 मई से शुरू नौतपा के दौरान तापमान अपने चरम पर होगा। ऐसे में कीटों से समय रहते सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक और आपात स्तर का कार्य बन जाता है।

कैसे करते हैं कीट नुकसान?

जोड़ा कीट फलों के गुच्छों में अंडे देता है और इसके लार्वा फल की सतह को खुरचकर दागदार बना देते हैं, जिससे उसका बाजार मूल्य गिर जाता है।

सेमीलूपर कीट फलों के डंठल या सतह पर अंडे देकर लार्वा उत्पन्न करता है जो फलों में छेद कर देते हैं। ऐसे फलों का मूल्य घट जाता है और निर्यात अयोग्य हो सकते हैं।

रोकथाम के प्रभावी उपाय:

कीट नियंत्रण के लिए लैम्डा सायहेलोथ्रिन (1 मिली/लीटर) का छिड़काव मान्य और प्रभावी है।

कुछ किसान इसे इमामेक्टिन बेंजोएट (0.35 ग्राम) के साथ मिलाकर प्रयोग कर रहे हैं जिससे और बेहतर परिणाम मिल रहे हैं।

छिड़काव विधि:

फलों के गुच्छों और जहां-जहां जोड़ा कीट सक्रिय हो सकता है, वहां फोकस के साथ स्प्रे करें।

पेड़ के तनों और निचली शाखाओं पर विशेष रूप से दवा डालें, क्योंकि कई कीट धागे से लटककर फिर ऊपर चढ़ जाते हैं।

निर्यातकों के लिए विशेष सावधानी

जिन किसानों का आम निर्यात के लिए तैयार हो रहा है, उन्हें केवल लेबल क्लेम कीटनाशकों का उपयोग करने की सलाह दी गई है। फसल कटाई में अभी एक महीने का समय शेष है, इसलिए इस अवधि में कीटनाशकों के अवशेष खत्म हो सकते हैं और फसल सुरक्षित रूप से बाजार या विदेश भेजी जा सकेगी।

सरकारी प्रयास और किसान हित

योगी सरकार द्वारा इज़राइल के सहयोग से किए जा रहे अनुसंधान और आधुनिक तकनीकी उपायों का सकारात्मक असर प्रदेश में दिख रहा है। बागवानों को आधुनिक सिंचाई तकनीक, कीट प्रबंधन, ग्रेडिंग और पैकेजिंग की जानकारी दी जा रही है जिससे गुणवत्ता में सुधार और निर्यात में वृद्धि हो रही है।

उत्तर प्रदेश के आम उत्पादकों के लिए यह सीजन न केवल उम्मीदों से भरा है बल्कि सतर्कता की भी मांग करता है। सही समय पर कीट प्रबंधन और फसल की देखरेख से न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी, बल्कि प्रदेश का निर्यात प्रदर्शन भी और बेहतर हो सकता है। आम के बागवानों के लिए यह समय सुनहरे अवसर और चुनौतियों दोनों का है, जिसका संतुलित और वैज्ञानिक प्रबंधन ही सफलता की कुंजी बनेगा।

Related posts

Leave a Comment