बाढ़ एवं सूखाग्रस्त संबंधित समस्याएं आज पूरे विश्व में छाई हुई है और इसके लिए मनुष्य प्रजाति ही कहीं ना कहीं प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इसके लिए जिम्मेदार है l सामान्यतः शुष्क भूमि पर पानी का अतिप्रवाह को बाढ़ कहा जाता है। किसी मौजूदा जलमार्ग, जैसे कि नदी, नाला या जल निकासी खाई में पानी बढ़ने के कारण सामान्य रूप से शुष्क क्षेत्र में बाढ़ आ जाती है। जिस स्थान पर वर्षा हुई हो उस स्थान पर या उसके निकट पानी का जमा होना भी बाढ़ की श्रेणी में आता है। बाढ़ एक दीर्घकालिक घटना है यह कई दिनों या हफ्तों तक चल सकती है lबाढ़ प्राकृतिक आपदा का सबसे आम प्रकार है lबाढ़ आने के और भी कई कारण हो सकते हैं, जैसे- तटीय क्षेत्रों में आने वाला तूफान, लंबे समय तक होने वाली तेज़ बारिश, हिम का पिघलना, ज़मीन की जल अवशोषण क्षमता में कमी आना और अधिक मृदा अपरदन के कारण नदी जल में जलोढ़ की मात्रा में वृद्धि होना।
तापमान बढ़ने से भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा होने पर पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं l इससे बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है और इससे एक सीमित दायरे में अचानक तेज बारिश होने लगती है l इस प्रक्रिया को बादल फटना कहा जाता है l पहाड़ी इलाकों में बाढ़ का एक मुख्य कारण बदल फटना भी होता है l बाढ़ आने के पूर्व बचाव के प्रमुख उपाय हैं:1) जरूरतमंद सामानों को एक जगह एकत्रित कर रखना चाहिए।2) पहले से ही ऊंचे स्थानों का चयन कर रखना चाहिए जहाँ बाढ़ का पानी ना पहुँच सकता हो।3) अपने क्षेत्र में बाढ़ के पानी को अधिक दिनों तक ना रूकने देने के लिए उनके बहाव का उचित प्रबंधन करना चाहिए एवं पंप सेट का इंतजाम रखना चाहिए। 4) बाढ़ पूर्व तैयारी के संबंध में स्वास्थ्य कर्मियों एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ मॉक एक्सरसाइज एवं मॉक ड्रिल का आयोजन नियमित अंतराल पर करते रहना चाहिएl
आपात स्थिति में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के पदाधिकारी की सहायता से क्षेत्र में पीने के पानी की सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए l भराव क्षेत्र में पंपिंग स्टेशन बनाना चाहिए एवं प्लास्टिक के बैग में रेत भर कर रखनी चाहिए जेसीबी मशीन ट्रैक्टर ट्रॉली रबर बोट ट्रक युटुब रस्सी इत्यादि का बंदोबस्त और जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल करना चाहिए l वॉलिंटियर्स को डिजास्टर मैनेजमेंट की ट्रेनिंग भी दी जानी चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर एक आम नागरिक आगे आकर दूसरों की मदद कर सके lआकस्मिक बाढ़ की आशंका होने पर तुरंत ऊंचे स्थान पर चले जाएं , आगे बढ़ने के लिए निर्देशों का इंतजार न करें। पहाड़ी क्षेत्रों में जहां अचानक बाढ़ आ जाती है वहां धारा, जल निकासी चैनल, घाटियों और अन्य क्षेत्रों के बारे में सावधान रहें।साथ ही अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, अपने आस-पास के लोगों को भी सचेत करें और यथासंभव उच्चतम बिंदु तक पहुँचने का प्रयास करें। ध्यान रहे लगभग 6 इंच का तेज़ पानी का बहाव आपको नीचे की ओर बहा ले जा सकता है, इसलिए बहते बाढ़ के पानी से दूर रहने की कोशिश करें ।जिस स्थान पर बाढ़ आ गई हो वहां अपने आगे जमीन की सतह की मजबूती को जांचने के लिए छड़ी का प्रयोग करें। बाढ़ वाले इलाकों में ड्राइविंग न करें।
यदि बाढ़ का पानी आपकी कार के आस-पास जमा हो जाए तो कार को वहीं छोड़ दें तथा यदि आप ऐसा सुरक्षित रूप से कर सकें तो तुरंत किसी ऊंचे स्थान पर चले जाएं क्योंकि आप और आपका वाहन पानी में तेजी से बह सकता है। जिन इलाकों में अंडरपास रोड है वहां पर पानी की सतह को लाल स्केल पर पानी का लेवल देखकर हि मोटर गाड़ी में बैठकर या स्वयं उसको क्रॉस करें l आपकी छोटी सी गलती आपको मौत के घाट उतार सकती है l इसके कई विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं। बाढ़ के कारण स्वच्छ पेयजल की कमी हो सकती है।बाढ़ से होने वाली क्षति वृक्षों की वृद्धि और उनके अस्तित्व पर असर डाल सकती है। बाढ़ से वृक्षों को होने वाली क्षति मृदा परिवर्तन, भौतिक क्षति, कीटों और रोगों के कारण हो सकती है। बाढ़ से वृक्षों को होने वाली क्षति की संभावना इस बात पर निर्भर करती है कि बाढ़ कब और कैसे आती है तथा वृक्ष की विशेषताएं क्या हैं।
बाढ़ के बाद पेड़ों को दीर्घकालिक क्षति से बचाने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। इस संबंध में वृक्ष विशेषज्ञ या वनपाल से भी संपर्क सदा जा सकता है l बाढ़ आने के पश्चात जैविक विविधता को भी नुकसान पहुंच सकता है और कई वन्य जीवो की जनसंख्या काम हो सकती है l अगर स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा गया तो महामारियां भी फैल सकती हैं lजल ग्रहण संबंधित परियोजनाएं चला कर पानी के बहाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है भूमि के कटाव को रोका जा सकता है भूजल स्तर को बढ़ाया जा सकता है और बाढ़ की आशंका को और बाढ़ से होने वाले नुकसान को काफी हद तक काम किया जा सकता है l कंटीन्यूअस कंटूर ट्रेंच स्टैंगर्ड ट्रेंच बोल्डर डेम खेत तलाई एनी कट एवं सघन वृक्षारोपण करके काफी हद तक बाढ़ से निजात पाई जा सकती है l
संपूर्ण देश की नदियों को जोड़ना एवं नदियों के ऊपर बांध बनाकर काफी हद तक बाढ़ से निजात पाई जा सकती है l फॉरेस्ट डिपार्मेंट गैर सरकारी संस्थाएं एवं अन्य सरकारी संस्थाओं को आगे आना होगा और लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता लानी होगी l विकास के नाम पर अंधाधुंध खनन एवं वृक्षों की हो रही अंधाधुंध कटाई को रोकना होगा और इसके लिए संसद में नए सख्त कानून बनाने होंगे और वही दूसरी और जो कानून पहले से है उनका कड़ाई से पालन करना होगा l पर्यावरण का संरक्षण कर प्रकृति में संतुलन बनाना होगा तभी यह पृथ्वी आने वाली जनरेशन के लिए सुरक्षित होगी साथ ही बाढ़ सूखा जैसे मनुष्य द्वारा प्रायोजित अभिशाप से छुटकारा मिल सकेगा l