कृषि पिटारा

खाद्य पदार्थों की कीमतें नियंत्रित करने के लिए सरकार उठा रही है ये कदम

नई दिल्ली: बरसात के आगमन के साथ ही भारत में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ गई हैं। चावल, गेहूं, दाल और हरी सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के चलते लोगों के बजट पर दबाव बढ़ गया है। टमाटर की कीमत में विशेष वृद्धि दर्ज की गई है। जुलाई में टमाटर की कीमत में 363.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिसके कारण कई शहरों में टमाटर 350 रुपये किलो तक पहुंच गया था। गेहूं की कीमत में भी वृद्धि हुई है, जिससे आटे की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और इसका असर खाद्य पदार्थों की कीमतों पर देखने को मिल रहा है।

केंद्र सरकार तथा राज्य सरकारें महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठा रही हैं, लेकिन फिर भी महंगाई में तेजी से बढ़ोतरी की समस्या बनी हुई है। इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने कई खद्य पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें टमाटर, गेहूं और चावल शामिल हैं। सरकार ने टमाटर की कीमतों को कम करने के लिए टमाटर को बाजारों में बेचने का काम शुरू किया है। इसके बाद से टमाटर की कीमतों में कमी आई है, लेकिन यह अभी भी अधिक महंगा है इसकी सामान्य कीमतों की तुलना में।

गेहूं की बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सरकार रूस से गेहूं के निर्यात पर विचार कर रही है। सरकार को उम्मीद है कि गेहूं की कीमतों में इससे गिरावट आएगी। सरकार ने प्याज की कीमतों को भी नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाना और बफर स्टॉक से प्याज जारी करना। सरकार ने दाल और तिलहनों के आयात की अनुमति दी है, जिसके माध्यम से खाद्य पदार्थों की कीमतों को कम करने की कोशिश की जा रही है। इसके बावजूद, खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आने में अभी वक्त लग सकता है।

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