भारत में इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम के तहत, सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। सरकार का उद्देश्य वर्ष 2025-26 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग का लक्ष्य प्राप्त करना है, और इसके लिए आवश्यक इथेनॉल उत्पादन में तेजी लाई जा रही है। इसी संदर्भ में, सरकार ने हाल ही में संसद में इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2023-24 और 2024-25 के आंकड़े साझा किए और इसके बढ़ते उत्पादन के लिए चीनी मिलों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी है।
सरकार ने बताया कि इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2023-24 के दौरान पेट्रोल के साथ ब्लेंडिंग के लिए 672 करोड़ लीटर इथेनॉल की सप्लाई की गई थी। वहीं, मौजूदा ईएसवाई 2024-25 में अब तक 261 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन किया गया है और 23 फरवरी 2025 तक तेल मार्केटिंग कंपनियों (OMC) को सप्लाई की गई है।
भारत में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग को प्राप्त करने के लिए 2025-26 तक सरकार को लगभग 1016 करोड़ लीटर इथेनॉल की आवश्यकता होगी। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने इथेनॉल उत्पादन में तेजी लाने के उपाय किए हैं, जिनमें चीनी मिलों को दी जाने वाली वित्तीय सुविधाएं शामिल हैं।
सरकार ने इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) प्रोग्राम के तहत ई20 इंजन वाली गाड़ियों को बाजार में उतारने का टारगेट अप्रैल 2025 तक तय किया है। ई20 पेट्रोल (जिसमें 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रित होगा) पर चलने वाली गाड़ियों में ईंधन दक्षता में थोड़ी कमी आएगी, लेकिन यह पर्यावरण और ईंधन के दृष्टिकोण से लाभकारी कदम माना जा रहा है।
इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार चीनी मिलों को कई तरह की सुविधाएं और वित्तीय लाभ दे रही है। सरकार ने गन्ना आधारित इथेनॉल प्लांट को मल्टी फीड इथेनॉल प्लांट में बदलने के लिए एक नई योजना शुरू की है। इस योजना के तहत, सहकारी चीनी मिलें अपने गन्ने वाले इथेनॉल प्लांट को मल्टी फीड प्लांट में तब्दील कर सकती हैं, ताकि मक्का, टूटे अनाज, और अन्य फीडस्टॉक से इथेनॉल का उत्पादन किया जा सके। इसके लिए लोन की सुविधा और ब्याज पर छूट दी जा रही है।
विशेष रूप से गन्ने पर आधारित इथेनॉल प्लांट केवल गन्ने के सीजन में काम करते हैं, जिसके कारण बाकी सीजन में प्लांट बंद रहते हैं। सरकार का यह कदम देशभर में इथेनॉल उत्पादन को पूरे साल सक्रिय रखने में मदद करेगा।
सरकार ने इथेनॉल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई वित्तीय योजनाओं की शुरुआत की है। चीनी मिलों को अलग-अलग फीडस्टॉक से इथेनॉल उत्पादन करने और तेल कंपनियों को बेचने के लिए एक प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। इसके अलावा, जीएसटी पर भी राहत दी गई है; ईबीपी प्रोग्राम के तहत बनाए गए इथेनॉल पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।
सरकार ने इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री जी-वन (जैव ईंधन) योजना को भी संशोधित किया है। यह योजना 2024 में अधिसूचित की गई है और इसका उद्देश्य एडवांस्ड बायोफ्यूल प्लांट लगाने में वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इस योजना का उद्देश्य फसल अवशेषों का वातावरण अनुकूल तरीके से निवारण करते हुए बायोफ्यूल का उत्पादन बढ़ाना है।
सरकार के इन कदमों का मुख्य उद्देश्य ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है। इथेनॉल से बने ईंधन के उपयोग से भारत की पेट्रोलियम आयात निर्भरता कम होगी, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। इसके अलावा, इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के प्रयोग से वायु प्रदूषण में कमी आएगी और ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।
कुल मिलाकर, भारत सरकार इथेनॉल उत्पादन में तेजी लाने के लिए किसानों और चीनी मिलों को वित्तीय और अन्य प्रोत्साहन दे रही है। इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम के तहत ई20 गाड़ियों को बाजार में उतारने के लिए योजनाएं बनाई गई हैं, और इसके साथ-साथ गन्ना आधारित इथेनॉल प्लांट को मल्टी फीड इथेनॉल प्लांट में बदलने के लिए कई वित्तीय सुविधाएं दी जा रही हैं। इन प्रयासों से सरकार की मंशा है कि 2025-26 तक 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके, जिससे ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान मिले।