भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा दलहन उत्पादक है, के लिए एक नई चुनौती सामने आ रही है। जहां हम उत्पादन में सबसे आगे हैं, वहीं दालों के आयातक के रूप में भी हम दुनिया में शीर्ष स्थान पर हैं। हालांकि, सरकार अब दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए कदम उठा रही है, ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके। इसके तहत, सरकार ने 2024-25 के लिए तुअर, मसूर और उड़द की खरीद पर 100% मूल्य समर्थन योजना (PSS) लागू करने का फैसला किया है, ताकि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिल सके।
केंद्र सरकार ने इस वर्ष के बजट में यह घोषणा की है कि वह अगले चार वर्षों तक तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की 100% खरीद मूल्य समर्थन योजना के तहत करेगी। इस योजना का उद्देश्य देश में दालों के उत्पादन को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता को कम करना है, जिससे भारत दालों के मामले में आत्मनिर्भर बन सके।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, शिवराज सिंह चौहान ने यह जानकारी दी कि सरकार ने तुअर (अरहर), मसूर और उड़द की खरीद के लिए कुल 24.97 लाख मीट्रिक टन (LMT) खरीद की मंजूरी दी है। इनमें से तुअर की खरीद के लिए 13.22 एलएमटी, मसूर के लिए 9.40 एलएमटी और उड़द के लिए 1.35 एलएमटी खरीद की जाएगी।
केंद्रीय कृषि मंत्री के अनुसार, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में तुअर की खरीद शुरू हो चुकी है। तुअर (अरहर) की खरीद नेफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के संयुक्त पोर्टल के माध्यम से पूर्व-रजिस्टर्ड किसानों से की जा रही है।
मंत्रालय के अनुसार, इन राज्यों में 11 मार्च 2025 तक कुल 1.31 लाख मीट्रिक टन तुअर खरीदी जाने का अनुमान है, जिससे 89,219 किसान लाभान्वित हो चुके हैं। अन्य राज्यों में भी जल्द ही तुअर की खरीद शुरू हो जाएगी।
इस खरीद प्रक्रिया का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सरकार किसानों से सीधे एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद करेगी, जो किसानों के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करेगा। इसके साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि देश में दालों की आपूर्ति में अस्थिरता न आए और उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर दालें मिल सकें।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) के तहत खरीदी जाने वाली दलहनों, तिलहनों और कोपरा की गुणवत्ता और कीमतों को निर्धारित किया जाएगा, और इसे केंद्रीय नोडल एजेंसियों (NAFED और NCCF) के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा।
सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि यह योजना 15वें वित्त आयोग के तहत 2025-26 तक जारी रहेगी, ताकि दालों की खरीद और किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य देने के काम को और प्रभावी बनाया जा सके।
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) योजना का उद्देश्य किसानों को उनके उत्पादन के लिए लाभकारी कीमत दिलाने के साथ-साथ आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में अस्थिरता को नियंत्रित करना भी है।
भारत सरकार का यह कदम देश में दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल किसानों की आय को बढ़ावा देगी, बल्कि देश में खाद्य सुरक्षा को भी मजबूत करेगी। आने वाले वर्षों में, यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि भारत दालों के मामले में आत्मनिर्भर बने और देश में दालों की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित हो।