नई दिल्ली: भारत विश्व का सबसे बड़ा हल्दी उत्पादक देश है। आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, पश्मिम बंगाल, राजस्थान और केरल हल्दी की खेती करने वाले प्रमुख राज्य हैं। हालाँकि अब इन राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के किसान भी हल्दी की व्यावसायिक खेती करने लगे हैं। हल्दी से कई प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं बनाई जाती हैं। इससे टुथपेस्ट व कई प्रकार के सौंदर्य प्रसाधन भी बनाए जाते हैं। हल्दी की व्यावसायिक खेती में अच्छा मुनाफा है, क्योंकि इसके औषधीय महत्व से आजकल अधिक से अधिक लोग परिचित हो रहे हैं। इससे हल्दी की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है। कई बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ जो औषधीय उत्पाद बनाती हैं, किसानों से इकट्ठे हल्दी की ख़रीदारी कर लेती हैं।
हल्दी की साल में एक ही फसल होती है लेकिन अगर यह फसल अच्छी हो जाए तो इससे बढ़िया कमाई होती है। हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त भूमि का चुनाव काफी महत्वपूर्ण है। इसके लिए मिट्टी का पीएच मान 5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। दोमट, जलोढ़ और लेटाराइट मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है। सेम वाली जमीन को छोड़ हल्दी सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है।
किसान मित्रों, हल्दी की खेती के लिए रोपाई से पहले खेत की अच्छी तरह से सफाई कर उसमें अच्छी गुणवत्ता की खाद डालें। अप्रैल से मई के बीच का समय हल्दी की रोपाई के लिए सबसे सही समय होता है। सीएल 326, माईडुकुर, सीएल 327 ठेकुरपेट, कस्तूरी, पीताबरा, सुरमा और सोनाली हल्दी की कुछ बेहतर प्रजातियाँ हैं। आप इनमे से किसी का भी चुनाव कर सकते हैं। बुआई के दौरान हल्दी के बीज की मात्रा प्रति एकड़ 6 से 8 क्विंटल के करीब होनी चाहिए। हल्दी की एक गांठ से दूसरी के बीच 30 सेंटीमीटर दूरी भी बहुत ज़रूरी है।
किसान मित्रों, हल्दी की खेती करते समय एक और बात का ज़रूर ध्यान रखें कि हल्दी की समय पर सिंचाई और गुड़ाई करने से फसल को बहुत लाभ होता है। इससे फसल का जल्दी विकास होता है। आप अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए हल्दी के साथ कुछ और फसलों की भी खेती कर सकते हैं। जैसे – अरहर, सोयाबीन, मूंग और मांह आदि। जब हल्दी की गाँठें अच्छी तरह से तैयार हो जाएँ तो कोड़ाई की बाद उन्हें बांस की चटाई पर 5-7 सेंमी मोटी तह पर धूप में सुखाएँ। फिर शाम को उन्हें ढंककर रख दें। अच्छी तरह से सूखने के बाद हल्दी के गाँठ उपयोग या बिक्री के लिए तैयार हो जाएंगे।