आज के दौर में प्राकृतिक आपदाओं के जीवंत उदाहरण देखने के पश्चात् लोगों का रूझान पर्यावरण के सरंक्षण की तरफ बढ़ा है। लोगो को वृक्षों के महत्व के बारे में पता चला है जिसके फलस्वरुप लोगों में पेड़ पौधों की मांग बढ़ी है। ऐसे में नर्सरी व्यवसाय युवाओं के लाभकारी व्यवसाय एवं आकर्षण का केन्द्र बन गया है। अब युवा इस नर्सरी व्यवसाय से जुड़ना चाहते है। ऐसे मंे हाई टेक नर्सरी युवाओं के लिए स्वरोजगार का स्वर्णिम अवसर प्रदान करती है।
आमतौर पर नर्सरी का मतलब उस स्थान सें होता है जहाँ पर पेड़ पौधे तैयार किये जाते है, रखे जाते है, उनकी देखभाल की जाती है और साथ ही उन्हे बेचा जाता है।
मॉडल नर्सरी एक प्रकार की हाईटेक नर्सरी होती है जिसमे शेड नेट हाऊस, पोलीहाऊस एवं मिस्टींग चैम्बर (प्रोपेगेशन यूनिट) होते है जहाँ पौधे तैयार किये जाते है उनकी हार्डनिंग की जाती है और उसके पश्चात् उन्हंे बेचा जाता है।
शेडनेट हाऊस और पोलीहाऊस में तापमान, आद्रता, प्रकाश की तीव्रता, कार्बनडाई आक्साईड का स्तर इत्यादि को काफी हद तक नियन्त्रित किया जा सकता है और पौधों के अनुकूल वातावरण प्रदान किया जाता है जिससे उनकी बढ़वार अच्छी होती है और उच्च गुणवता के पौधे तैयार किये जा सकते है।
प्रकाश की तीव्रता को कम करने केे लिए शेडनेट (हरा या सफेद रंग का) 50 प्रतिशत वाला उपयोग मंे लिया जाता है एवं गर्मियों मंे तापमान एवं आद्रता को नियन्त्रित करने के लिए चार मुहँ वाले फोगर का इस्तेमाल किया जाता है और सर्दियों मंे मिस्टींग चैम्बर (प्रोपेगेशन यूनिट) में हॉट वॉटर ट्रिटमेन्ट का उपयोग तापमान बढ़ाने के लिए किया जाता है। हाई टेक नर्सरी मंे ड्राई एण्ड वेट बल्ब हाइग्रो मीटर का प्रयोग तापमान एवं आद्रता को मापने के लिए किया जाता है।
नर्सरी की जगह का चुनाव करते समय कुछ बातो को ध्यान में रखना चाहिए जैसे की नर्सरी सड़क के पास हो ताकि वर्ष भर वहाँ से तैयार पौधों को एवं कच्चेमाल जैसे खाद, छोटे पौधे इत्यादि, का परिवहन किया जा सके। नर्सरी के पास बिजली कि सुविधा होनी चाहिए ताकि लाईट कनेक्शन लेने से दिक्कत ना हो। नर्सरी में अच्छी गुणवता की मिट्टी एवं पानी की प्रचुर मात्रा में उपलब्धता होने के साथ ही कामगारो की उपलब्धता भी सहज हो। नर्सरी हमेशा ऊँची जगह पर होनी चाहिए ताकि बरसात में पानी भरने की समस्या ना हो।
नर्सरी का रीटेल कांउटर जहाँ से पौधे बेचे जाते है। वहाँ पर सभी पौधों एवं नर्सरी से सम्बन्धित सामग्री अच्छे तरीके से रखी जानी चाहिए ताकि ग्राहक वहाँ पर अच्छी तरीके से घुम सके और पौधे एवं अन्य सामग्री को देखकर खरीद सके। परन्तु इसके विपरित वह स्थान जहाँ खाद या कम्पोस्ट बनाई जाती हो एवं पौधे तैयार किये जाते हो ऐसी जगह नर्सरी के रिटेल काउंटर से दूर होनी चाहिए एवं ग्राहको का वहाँ प्रवेश वर्जित होना चाहिए।
आज कल शहरांे मे इनडोर पौधे, रूफ टॉफ गार्डनिंग या टेरेस गार्डनिंग, वर्टीकल गार्डनिंग, किचन गार्डनिंग इत्यादि का प्रचलन बढ़ा है। जिससे नर्सरी व्यवसाय को नया आयाम मिला है और पढे़ लिखे युवा भी इस व्यवसाय से जुड रहे है। असंगठित क्षैत्र के नर्सरी संचालको में अब जागरूकता आई है, जिसके चलते उनमें एसोसियेशन से होने वाले लाभ के बारें में जानकारी बढ़ी है एवं उन्हंे नर्सरी एसोसियेशन बनाने की प्रेरणा मिली है।
नर्सरी का व्यवसाय करने के लिए मुख्य रूप से जमीन, पूँजी, तकनीकी जानकारी की आवश्यकता होती है। जमीन स्वयं की हो सकती है या फिर खरीदी जा सकती है। पूँजी स्वंय की हो सकती है या फिर बैंक से लोन लिया जा सकता है। तकनीकी जानकारी स्वंय को हो सकती है और अगर तकनीकी जानकारी का अभाव है तो व्यक्ति प्रशिक्षण प्राप्त कर सकता है। प्रशिक्षण के लिए कृषि विभाग, उधान विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं अन्य गैर सरकारी सस्ंथान या फिर उस क्षेत्र में पूर्व से स्थापित नर्सरी के संचालक से मुलाकात करके तकनीकी ज्ञान की प्राप्ति की जा सकती है।
नर्सरी में फल वाले पौधे, औषधीय पौधे, जगंलात वाले पौधे, सुगंधित पौधे, सब्जियों की पौध एवं सजावटी पौधे तैयार किये जा सकते है। साथ ही नर्सरी सम्बन्धित उपकरण एवं खाद, बीज, दवाईयाँ इत्यादि भी बेची जा सकती है।
नर्सरी व्यवसाय करने के लिए ज्यादा पढ़ा लिखा होना आवश्यक नहीं है, परन्तु अगर आप पढ़े लिखे है तो आप अपने व्यवसाय को तेजी से बढ़ा सकते है। नर्सरी में बड़ीग, ग्राफ्टींग, लेयरिग, गुटी बांधना, खाद तैयार करना, गमलो को भरने के लिए मिश्रण तैयार करना, थैली भरना, प्लास्टिक ट्रे में पौध तैयार करना, सजावटी पौधे किराये पर देना, बागवानी ठेकेदार, बागवानी सलाहकार इत्यादि के रूप में आज के युवा रोजगार की तरफ अपने कदम बढ़ा सकते है और अन्य युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान कर सकते है। नर्सरी की शुरूआत अपने घर के लोगों के साथ मिलकर छोटे स्तर पर की जा सकती है और धीरे-धीरे इसे बढ़ाया जा सकता है।
ग्रामीण परिवेश के युवाओं को यह संदेश देना चाहूँगा कि वह महानगरो एवं शहरांे की तरफ रोजगार की तलाश मंे पलायन ना करे बल्कि गाँवों में रहे स्वरोजगार अपनाये क्यांेकि सरकारी नौकरियाँ सभी को नहीं मिल पाती है। नर्सरी का व्यवसाय एक अच्छे स्वरोजगार के रूप में अपनाया जा सकता है जिससे आप मालिक बनते है, नौकर नहीं। साथ ही दूसरो को भी रोजगार प्रदान करते है। साथ ही आप अच्छा मुनाफा कमाते है। इससे न केवल समाज मंे आपकी अच्छी पहचान बनती है बल्कि आप को कार्य संतुष्टि भी प्राप्त होती है।