नई दिल्ली: भारत एक कृषि प्रधान देश है – इस तथ्य से हम सभी परिचित हैं। लेकिन, किसानों के अलावा हममें से कितने लोग कृषि के आधारभूत ज्ञान से परिचित हैं? यह जानना अपने आप में दिलचस्प होगा। जो अनाज हम तक पहुंचता है, उससे पैदा करने में खेत, मिट्टी, मौसम, खाद-बीज, परिश्रम, उम्मीद और न जाने क्या-क्या लगा होता है। उस अनाज को पैदा करने में किसान अपनी दिन-रात की मेहनत के साथ बहुत कुछ दाँव पर लगा देता है। खेती में सबकुछ उम्मीद मुताबिक़ होते हुए भी बहुत कुछ एक हद तक जुए जैसा होता है। कब मौसम की मार सबकुछ एक झटके में बर्बाद कर देगा। कब एक रोग-व्याधि फसल के साथ-साथ किसान की तकदीर को भी खराब कर देगा – यह कहना मुश्किल है।
एक किसान फसल को बोने से पहले और उसके बाद बहुत सारे उतार-चढ़ाव से गुजरता है। तब जाकर एक बीज अनाज की शक्ल में हम तक पहुंचता है। आप या हम खेती व किसान से कितने परिचित हैं? यह परखना काफी आवश्यक है। क्योंकि इस परिचय के बिना हम ना तो अन्नदाता के त्याग व परिश्रम का अंदाजा लगा पाएंगे और ना ही अपनी थाली तक पहुँचने वाले अन्न का मोल जान पाएंगे।
आज किसान पारंपरिक तरीकों के साथ तकनीकीकरण का प्रयोग कर खेती कर रहे हैं। आज भी ज्यादातर लोग खेती-किसानी के तकनीकी पहलू के बारे में कम ही जानते हैं। ऐसे में आपको बता दें कि खेती तीन ऋतुओं यानी सीजन में की जाती है जिनमें रबी, खरीफ और जायद शामिल हैं। आज आपको रबी सीजन में बोई जाने वाली दलहन और तिलहन फसलों के बारे में कुछ रोचक तथ्यों से परिचित करवाते हैं।
रबी सीजन की शुरुआत मॉनसून के बाद हो जाती है, यानी सर्दियां शुरु होने के साथ किसान रबी फसलों की बुवाई शुरू कर देते हैं। इसकी खेती अक्टूबर से मार्च महीने तक होती है। अब जाहिर-सी बात है कि मौसम अनुसार की गई खेती से किसानों की फसल तो अच्छी ही होगी। साथ ही इससे किसानों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा। इस सीजन में गेहूं, जौ, चावल, बाजरा, उड़द, चना, मसूर आदि फसलों की खेती की जाती है। इन सभी फसलों में से कुछ फसलों को दलहन और तिलहन फसलों में बांटा गया है। जिन फसलों से दालों का उत्पादन होता है उसे दलहन फसल कहा जाता है। इसमें मुख्य रूप से मूंग, चना, मसूर, राजमा जैसी फसल उगाई जाती है। वहीं जिन फसलों को पीसकर तेल निकाला जाता है उसे तिलहन फसलों के तौर पर उगाया जाता है। इसमें सरसों, अलसी, मूंगफली जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
दलहन मतलब दालें, हर घर में बनाए जाने वाला आहार है, जिसमें भरपूर मात्रा में, प्रोटीन, फाइबर जैसे पोषक तत्व पाए जाते है। दालों को पाचन क्रिया के लिए भी अच्छा माना जाता है। इसलिए बाजारों की मांग ज्यादा होने से किसान अच्छे वातावरण, खाद पानी के साथ इन फसलों की खेती कर अच्छा कमा लेते हैं। इन फसलों की जड़ों में राइजोबियम बैक्टीरिया होते हैं, जो मिट्टी की सतह और उपजाऊ भूमि के लिए फायदेमंद होते हैं। इनमें उर्वरक और कीटनाशक के छिड़काव की ज्यादा जरूरत नहीं होती। इनमें अरहर, मूंग, मसूर जैसी फसलों की ज्यादा मांग है।
तिलहन मतलब तेल, जो कि खाना बनाने की पहली पसंद होता है। इसमें मुख्य रूप से सरसों, अलसी, मूंगफली जैसी फसलों से तेल मिलता है, जो खाना बनाने, पूजा करने और बालों के लिए बेहतर माना जाता है। इसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। भारत के बाजारों में सोयाबीन की ज्यादा मांग होने से इसकी खेती कर किसान अच्छा मुनाफा मिल जाता है।