भारत के कई हिस्सों में गर्मियों के दौरान तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, जिसका सीधा असर जलस्रोतों और उनमें पलने वाले जीवों पर पड़ता है। खासकर तालाबों, जलाशयों और कृत्रिम फिश फार्मों में पाली जा रही मछलियों पर गर्मी का गंभीर खतरा होता है। भीषण गर्मी में पानी का तापमान बढ़ने से उसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे मछलियों में सांस लेने में तकलीफ, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी और मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है। ऐसे में मछली पालकों को सावधानीपूर्वक प्रबंधन करना जरूरी हो जाता है।
पानी के तापमान को नियंत्रित करें
गर्मी के मौसम में सबसे जरूरी है कि तालाब या फिश टैंक का तापमान संतुलित रखा जाए। इसके लिए तालाब के किनारों पर पेड़ लगाए जा सकते हैं या नेट की सहायता से तालाब को छायांकित किया जा सकता है। कुछ मछली पालक तालाब के ऊपर हरे जाल (ग्रीन नेट) का उपयोग करते हैं, जिससे सीधे सूरज की किरणें पानी पर न पड़ें और तापमान संतुलन बना रहे।
ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखें
गर्मियों में पानी में ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से घटती है। ऐसे में एरेटर्स (ऑक्सीजन देने वाली मशीन) का इस्तेमाल जरूरी हो जाता है। अगर एरेटर्स उपलब्ध नहीं हैं, तो पारंपरिक तरीकों जैसे कि पानी में नियमित तौर पर हलचल करना या पंप से पानी ऊपर फेंककर पुन: गिराना भी मददगार साबित हो सकता है।
समय पर और नियंत्रित मात्रा में आहार दें
गर्मी के समय मछलियों की खपत और पाचन क्षमता दोनों प्रभावित होती है। ऐसे में उन्हें जरूरत से ज्यादा चारा नहीं देना चाहिए। अधिक चारा तालाब में सड़ता है, जिससे पानी की गुणवत्ता खराब होती है और घुलित ऑक्सीजन और भी कम हो जाती है। सुबह और शाम के समय सीमित मात्रा में आहार देना बेहतर रहता है।
पानी की गुणवत्ता पर रखें नजर
हर 7 से 10 दिन में तालाब के पानी की जांच करें। यदि पानी बहुत गर्म, गंदा या अम्लीय हो गया हो, तो कुछ मात्रा में ताजा और ठंडा पानी मिलाएं। अमोनिया या नाइट्रेट का स्तर अधिक बढ़ जाए तो पानी का 30-40% हिस्सा बदल देना चाहिए। इसके अलावा, पोटाशियम परमैंगनेट जैसे रसायनों का सावधानीपूर्वक उपयोग करके पानी को संक्रमणमुक्त रखा जा सकता है।
मृत मछलियों को तुरंत हटाएं
अगर किसी कारणवश तालाब में मछलियां मर जाएं तो उन्हें तुरंत बाहर निकाल देना चाहिए। मृत मछलियों के सड़ने से पानी में विषैले तत्व घुल जाते हैं, जो अन्य स्वस्थ मछलियों को भी बीमार कर सकते हैं।
फसल चक्र अपनाएं
कुछ मछली पालक गर्मियों में तालाब को कुछ समय के लिए खाली छोड़ देते हैं या उसमें फसल चक्र अपनाते हैं। यानी एक मौसम के बाद कुछ समय तक तालाब को सुखा देते हैं, जिससे रोगजनक बैक्टीरिया और परजीवी नष्ट हो जाते हैं।
विशेषज्ञों से संपर्क करें
यदि मछलियों में किसी तरह के लक्षण दिखें, जैसे कि सतह पर बार-बार आना, रंग बदलना, सुस्ती या बार-बार पानी से बाहर कूदना—तो तुरंत मत्स्य पालन विशेषज्ञ या स्थानीय पशुपालन विभाग से संपर्क करना चाहिए। गर्मियों में वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण भी आम हो सकते हैं, जिनका समय पर इलाज जरूरी है। गर्मी में मछलियों की सुरक्षा के लिए तापमान, ऑक्सीजन, चारा और पानी की गुणवत्ता को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है। थोड़ी सी सावधानी और समय पर देखभाल से मछलियों को गर्मी के प्रकोप से बचाया जा सकता है और उत्पादन में कोई गिरावट नहीं आएगी। मछली पालकों को चाहिए कि वे वैज्ञानिक पद्धतियों और स्थानीय विशेषज्ञों की सलाह से काम करें, ताकि उनकी मेहनत और निवेश दोनों सुरक्षित रहें।