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बारिश के मौसम में मवेशियों की अतिरिक्त देखभाल है जरूरी

नई दिल्ली: बारिश के मौसम में मवेशियों को विभिन्न बीमारियों से संक्रमित होने का खतरा रहता है। इस वजह से कई बार उनकी मृत्यु भी हो जाती है। इस मौसम में अगर ठीक तरीके से पशुओं की देखभाल न की जाए तो उनके सेहत पर बुरा असर पड़ता है। जो पालतू पशु दूध देते हैं, इस दौरान उनका दूध भी कम हो जाता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि हम अपने मवेशियों का इस मौसम में अतिरिक्त ख्याल रखें।

इस मौसम में खूर एवं मुंह की बीमारियाँ आमतौर पर देखी जाती हैं। इनमें से कुछ बीमारियाँ संक्रामक भी होती हैं। इस मौसम में पशुओं की जीभ, नाक और होठों पर छाले हो जाते हैं, जिससे उन्हें खाने में परेशानी होती है। इसके अलावा उनके दोनों खूर के बीच घाव हो जाता है, जो बाद में फट भी जाता है। इससे उन्हें चलने में परेशानी होती है और वे लंगड़ाकर चलते हैं। बारिश के मौसम में अक्सर मवेसियों को दर्दनाक अल्सर से पीड़ित होते हुए देखा जाता है। इस बीमारी में पशुओं के मुंह से झागदार स्लाइवा टपकता है। इससे उन्हें तेज बुखार आ जाता है और वे भोजन करना लगभग बंद कर देते हैं। इसके परिणाम स्वरूप उनमें दूध की कमी हो जाती है।

इनमें से कई बीमारियाँ पशुओं के एक जगह से दूसरे जगह जाने से फैलती हैं। इसके कारण बीमार पशु से स्वस्थ पशु भी संक्रमित हो जाता है। इसलिए किसी संक्रामक बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए प्रभावित जानवरों को दूसरे जानवरों से दूर रखना चाहिए। इसके अलावा जिन क्षेत्रों में बीमारी का प्रभाव है उन क्षेत्रों से पशु की खरीद नहीं करनी चाहिए। अगर आप घर में कोई नया पशु खरीद कर लाते भी हैं तो उसे 21 दिनों तक दूसरे पशुओं से दूर रखना चाहिए। इसके अलावा बीमारी से प्रभावित पशु को जितनी जल्दी हो सके पशु चिकित्सक से दिखाना चाहिए। अन्यथा, किसी संक्रामक रोग की चपेट में एक पशु के आने पर पशुगृह में रह रहे अन्य पशु भी संक्रमित हो सकते हैं। इन बीमारियों से पशुओं को बचाने के लिए प्रत्येक छह महीने के अंतराल पर एफएमडी के टीके लगवाने चाहिए।

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