नई दिल्ली: तकनीक के इस युग में कृषि क्षेत्र में भी नवाचार आ रहे हैं। इसी दिशा में किसानों के लिए हाइड्रोजेल नामक एक नई तकनीक बहुत सहायक साबित हो सकती है, जिसके उपयोग से किसान अपने खेतों की नमी को अधिक समय तक बनाए रख सकते हैं। हाइड्रोजेल एक प्रकार का पॉलिमरिक सब्सटेंस है, जो पौधों को अधिक समय तक पानी पहुंचाने में मदद करता है। इस तकनीक का उपयोग करते हुए किसान अपने खेतों की नमी को लंबे समय तक बनाए रख सकते हैं, जिससे उनकी फसलें और पौधे बेहतर तरीके से विकसित हो सकते हैं। हाइड्रोजेल में अम्लीयता और क्षारियता का अनुपात बराबर होता है, जिससे मिट्टी में उदासीनता होती है और कोई हानिकारक प्रतिक्रिया नहीं करती है।
मंगलायतन विश्वविद्यालय में कृषि विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. आकांक्षा सिंह ने इस तकनीक को ‘कृषि में सुधार करने का एक अच्छा उपाय’ बताया है। हाइड्रोजेल का उपयोग पौधों के संवर्धन में मदद करता है और ज्यादा समय तक बगैर पानी के भी उनके विकास को सुचारु बना सकता है।
अगर हाइड्रोजेल के कुछ प्रमुख फायदों की बात करें तो यह मिट्टी में घनत्व और जल धारण क्षमता को बेहतर बनाता है। यह मिट्टी की जल धारण क्षमता को बढ़ावा देता है, जिससे पौधों को स्थिरता और पोषण प्राप्त होता है। हाइड्रोजेल शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों के लिए उपयोगी है। यह शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में खेती के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है, क्योंकि यह पानी की निकासी को बढ़ावा देता है। हाइड्रोजेल मृदा के अपरदन को रोकने में भी मदद कर सकता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है। इसके अलावा, यह पौधों के लिए जैविक गतिविधियों को बढ़ावा देता है, जिससे उनका संवर्धन और विकास सुचारू रूप से होता है।