पक्षी मनुष्य के लिए हमेशा से प्रेरणा का स्रोत रहे हैं l भारतीय संस्कृति में पक्षियों का अहम स्थान रहा है I पक्षियों से मनुष्य का जुड़ाव बहुत पुराना है l प्राचीन काल एवं आधुनिक काल हर समय पक्षियों का इस्तेमाल मनुष्य करता आया है कभी संदेश भेजने के लिए तो कभी लड़ाके के रूप में l वही आज भी भारतीय सेनाओं द्वारा बाज का इस्तेमाल जासूसी करते दुश्मनी ड्रोन का पता लगाने एवं उसे मार गिराने के लिए किया जाता है l वही प्रवासी पक्षियों के आगमन को खुशहाली का प्रतीक माना जाता है l
पक्षियों में पर होते हैं जिसकी वजह से उन में उड़ने की शक्ति होती है यही एक कारण है कि वह लगभग सभी महाद्वीपों में पाए जाते हैं l पक्षी प्रवास के दौरान एक साथ झुंड में आते हैं और अंग्रेजी के अक्षर वी फॉर्मेशन बनाकर उड़ान भरते हैं इसका अपना फायदा है l
बर्ड वाचिंग एक शौक है और कुछ लोग इसे व्यवसाय के रूप में भी अपना लेते हैं l जो विज्ञान पक्षियों के बारे में जानकारी प्रदान करता है उसको पक्षीविज्ञान कहा जाता है l वातावरण एवं जलवायु संबंधित परिस्थितियां एवं आंतरिक शरीर क्रियाओं ने परस्पर मिलकर पक्षियों में प्रवास को जन्म दिया है l वहीं कुछ लोगों का मानना है कि पूर्वजों के प्रवास के गुण आधुनिक पक्षियों में वंशानुगत हो गए हैं l प्रवास के दौरान पक्षियों को जहां एक और कठोर जलवायु से बचने में सहायता मिलती है वहीं दूसरी तरफ अधिक भोजन एवं रहने की अच्छी दशाएं मिलती है l इन सबके साथ साथ पक्षियों को सुरक्षित प्रजनन के लिए सुरक्षित स्थान मिलता है जहां वह अपने आपको पर पक्षियों से बचाकर अपनी आबादी बढ़ा सकते हैं l
वही जब प्रवासी पक्षी वापस अपने स्थान पर आते हैं तो उन्हें अपनत्व का आभास होता है l प्रवासी पक्षी प्रवास के दौरान अच्छा एवं पौष्टिक भोजन करने के पश्चात अपने शरीर में वसा का भंडारण कर लेते हैं और वही वसा का उपयोग ऊर्जा के रूप में प्रवासी पक्षी वापस अपने यथा स्थान पर आने के लिए करते हैं l पक्षी प्रवास के दौरान एक साथ झुंड में आते हैं और अंग्रेजी के अक्षर वी फॉर्मेशन बनाकर उड़ान भरते हैं इसका अपना फायदा है
वैसे तो पक्षी हर कहीं प्रवास करते हुए देखे जा सकते हैं परंतु भौगोलिक परिस्थितियां एवं भोजन की उपलब्धता उन्हें एक निश्चित रास्ते पर उड़ने के लिए निर्देशित करती है जिसे फ्लाईवेज कहा जाता है वेटलैंड इंटरनेशनल संस्था के अनुसार दुनिया में प्रवासी पक्षियों के लिए 9 फ्लाईवेज हैं l
प्रवासी पक्षी द्वारा अपनाए गए फ्लाईव्हील के बारे में जो जानकारी एकत्रित की जाती है वह है एक्टिव ट्रैकिंग सिस्टम जो कि एक प्रकार का एडवांस टेक्नोलॉजी वाला सिस्टम है जिसमें की उपग्रह से जुड़े ट्रांसमीटर का इस्तेमाल किया जाता है जीएसएम जीपीएस ट्रांसमीटर्स का इस्तेमाल किया जाता है वही दूसरे तरीके हैं वह पैसे ट्रैकिंग सिस्टम जोकि सिंपल तरीका है जिस पर पक्षियों के ऊपर मार्किंग कर दी जाती है बर्ड्स को रिंग पहना दी जाती है और पक्षियों को पकड़कर या उनको देखने के पश्चात उनकी ट्रैकिंग की जाती है वही वही सिटीजन साइंस रिपोर्ट्स के द्वारा जीपीएस डाटा लोगर के द्वारा और जिओलोकेटर के द्वारा जानकारी प्रवासी पक्षियों के बारे में एकत्रित की जाती है जिसमें से सबसे सटीक तरीका है अंतरिक्ष आधारित ट्रैकिंग सिस्टम जिसमें की वन्य जीव ट्रैकिंग सेटेलाइट का इस्तेमाल किया जाता है या फिर उपग्रह में एक विशेष प्रकार का एंटीना जिसमें की आगोश ए आर जी ओ एस ट्रांसपोंडर लगे होते हैं उनका इस्तेमाल किया जाता है l
आज विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि छोटे साइज के बेहद हल्के सेटेलाइट ट्रांसमीटर इनको की मिनिएचर ट्रांसमीटर्स कहते हैं जो कि 2 ग्राम वजन के होते हैं इनका इस्तेमाल 70 से 100 ग्राम वजन वाले प्रवासी पक्षियों की सटीक फ्लाई वे की जानकारी हासिल करने के लिए किया जा रहा है l इन ट्रांसमीटरो द्वारा प्रवासी पक्षी की हर 10 मिनट में लोकेशन पता की जा सकती है प्रवासी पक्षियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने में इस प्रकार के डिवाइस महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं l
पक्षी जैसे पिंटेल डक, कर्ल्यू, फ्लेमिंगो, ऑस्प्रे और लिटिल स्टिंट हर साल सर्दियों के मौसम में हमारे देश में प्रवास करते हैं। किंगफिशर और कॉम्ब डक क्रमशः गर्मी के मौसम और बरसात के मौसम में भारत आते हैं। साइबेरियन क्रेन को स्नो क्रेन भी कहा जाता है प्रवासी पक्षियों में यह प्रजाति लुप्त होने के कगार पर है आमतौर पर राजस्थान में केवला देवी नेशनल पार्क भरतपुर सर्दियों के समय देखने को मिलते हैं वहीं ग्रेटर फ्लैमिंगो जोकि फ्लेमिंगो समुदाय में सबसे बड़ा पक्षी है भारतीय उपमहाद्वीप मे पाया जाता है l इस प्रवासी पक्षी को सर्दियों में गुजरात की थोल बर्ड सेंचुरी में देखा जा सकता है l राजस्थान राज्य के खींचान गांव में डीमोइ शैली क्रेन सर्दियों के समय में देखने को मिलती है जिन्हें वहां के स्थानीय लोगों द्वारा भोजन मुहैया कराया जाता है l
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस 14 मई को भारत सहित दुनिया भर के देशों में मनाया जाता है। प्रवासी पक्षियों लुप्त होती जातियों और उनके आवासों की रक्षा करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया जाता है।
ग्रेट फ्लेमिंगो, अमूर फाल्कन, बार हेडगोज़, साइबेरियन क्रेन (स्नो क्रेन), ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, रोज़ी स्टार्टलिंग, ग्रीयर व्हाइट पेलिकन, रूडी शेल्डक, कॉमन टील, कॉमन सैंड पाइपर, वुड सैंड पाइपर, ब्लू चेक बी ईटर, ब्लू टेल्ड बी ईटर , कॉमन रोजफिंच, कॉम्ब डक, ब्लैक टेल्ड गॉडविट, नॉर्दर्न पिंटेल, कॉमन ग्रीन शैंक, कॉमन पोचार्ड, यूरोपियन रोलर, ब्लू थ्रोट बर्ड, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट – यह सभी पक्षी प्रवासी पक्षी के रूप में जाने जाते हैं l सरकार एवं गैर सरकारी संस्थाओं को आगे आना होगा ताकि लुप्त होती पक्षियों की जातियों एवं वेटलैंड एरिया को बचाया जा सके पर्यावरण को बचाया जा सके ताकि भविष्य में भी प्रवासी पक्षी हमारे देश में आते रहे इसके लिए सरकार स्वायत्त संस्थाओं को और गैर सरकारी संस्थाओं को आगे आना होगा और बर्ड पार्क, बर्ड सेंचुरी, बैट लैंड एरिया डेवलपमेंट एवं सघन वृक्षारोपण करना होगा l साथ ही आने वाली पीढ़ी को हमें पक्षियों के महत्व के बारे में जानकारी प्रदान कर उनके संरक्षण के लिए जागरूकता लानी होगी