कृषि पिटारा

ग्रीन हाऊस में पोली फिल्मस का महत्व

हरित गृह खेती को औद्योगिक रूप में भारत देश में शुरूआत 1989 में हुई थी और आज लगभग 22 वर्ष पश्चात हरित गृह के ढा़चे जलवायु नियत्रंण, फसलो की समय क्रियाए, तुडाई, तुडाई उपरान्त प्रबन्धन सिचाई पद्धति एवं फर्टीगेंषन इत्यादि ने स्थायित्व रूप धारण कर लिया है फिर भी नई तकनीक एंव नवाचार के सर्द्धभ में हरित गृह इंडस्ट्री के दरवाजे आज भी खुले हुए है ताकि इन्हे अपनाकर हरित गृह में लगाये जाने वाली फसलो की गुणवता एंव मात्रा में बढोतरी की जा सके।

पोलीहाऊस की ढॉचे की मजबूती के लिए गेलवेनाइजड आयरतन की बनी पाईपो का इस्तेमाल किया जाता है जिससे उसकी आयु 15-20 वर्ष तक ऑकी गई है। वैसे ही एक अच्छी आयात की गई पोली थीन फिल्म की भी आयु 3 वर्ष ऑकी गई है। मुख्य रूप से पैरा बैगनी विकिरण,  थर्मल डीग्रेडेष , फोटो ऑकसडेसन एंव फसल सरंक्षण के काम में लिए जाने वाले रसायनिक उत्पाद, चार कारक पोलीफिल्म की आयु को प्रभावित करती है।

कुछ कृषको द्वारा गर्मियों के मौसम में पोलीथीन फिल्म के ऊपरी तरफ (बाहर) सफेद चूने की पुताई फुट पम्प द्वारा की जाती है। जिससे प्रकाष की तीव्रता में तो कमी आती है परन्तु पोली फिल्म की आयु पर विपरित असर पड़ता है। अतः कृषकों को इस प्रकार की तकनीकी नही अपनानी चाहिए।

 पोली फिल्म के बारे में विस्तृत तकनीकी जानकारी आमतौर में उन कृषको के लिए जरूरी है। जो हरित गृह (पोली हाऊस) लगाना चाहते है या फिर हरित गृह सम्बंधित व्यवसाय में दिलचस्पी रखते है। कृषक के लिए यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है कि बाजार से विभिन्न गुणवता वाली पोली फिल्म उपलब्ध है और उनमे मे कौन सी प्रकार की पोली फिल्म उसकी फसल एंव उसके क्षेत्र की जलवायु को देखते हुए उपयुक्त है।

आम तौर पर प्रत्येक पोली थीन जिसका उपयोग पोली हाऊस बनाने के लिए किया जाता है 200 माइक्रोन मोटाई वाली, पैरा बैगनी किरणो को रोकने वाली इन फ्रा रेड थर्मिक, धूल मिट्टी प्रति रोधी, बूंद प्रतिरोधी जैसे महत्वपूर्ण गुणो के समावेष वाली होनी चाहिए । इसी प्रकार जैसे की ज्यादातर देष के विभिन्न क्षेत्रो में दिन का तापमान अत्यधिक रहता है और हरित गृह में तापमान को कम करने की जरूरत महसूस की जाती है ऐसे में बुद्धिमता इसी में है कि इनफ्रा परावर्तित ठण्डी झील्ली का प्रयोग किया जाये। हाल ही में आई. आर. परावर्तित कूलिग फिल्म का कंम्पनियॉ ने किया है और कृषको के बीच इसका चलन बढ़ा है।

आयात की गई ज्यादातर पोली फिल्म बहुपरत एवं  बहुगुणो वाली होती है।

बाहरी परत  धूल प्रतिरोधी इनफ्रारेड कूलिंग

मध्य वाली परत     डिफ्यूजन

अंदर वाली परत    इनटीड्रीप इनफ्राथमिर्क

यु वी स्टेबलाइजर, पी. ए. आर. फिल्टर , सल्फर प्रतिरोधी , मैकेनिकल स्ट्रेंथ एवं थर्मल स्टेबलाइजर को प्रत्येक परत में एक निष्चित मात्रा मे मिलाना आवष्यक होता है ताकि पोली फिल्म अपने आप मे समस्त गुणो का समावेष रख सके एवं बिना फटे एक निष्चित समय सीमा तक चल सके जिसकी गांरटी आमतौर पर पोली फिल्म निर्माता अपने उत्पादो के लिए अपने ग्राहको को देता है। बहुआयामी पोली थीन की परतो मे से अगर किसी एक परत मे यह पद्धार्थ डाले जाये तो ऐसी पोली फिल्म से रिजल्ट की परिकल्पना करना व्यर्थ है।

सूर्य की किरणों को तीन भागों में बॉटा जा सकता है- यू. वी, पी. ए. आर. एवं आई. आर.। कृषि सम्बन्धित क्रियाओं में उपरोक्त सूर्य की किरणों को समझना एंव नियंत्रित करना अति आवष्यक है।

युु.वी.सी     190 से 280 नैनो मीटर   

यू.वी.बी        280 से 320 नैनो मीटर

यू.वी. ए.       320 से 400 नैनो मीटर

पी.ए. आर    380 से 700 नैनो मीटर

एन. आई. आर       700 से 1100 नैनो मीटर

एफ. आई. आर     1100 से 1600 नैनो मीटर

1.      यू. वी. छोटी वेवलेंथ

ज्यादा ऊर्जा

2.      पी.ए. आर    मध्यम वेवलेथं  प्रकाष सस्लेषन के लिए उपयुक्त मध्यम

ऊर्जा 

3.      आई. आर.   लम्बी वेवलेंथ  गर्मी बढाने के लिए जिम्मेदार

कम ऊर्जा

यू.वी. स्टेबलाइजेषन पैकेजज्:- पोलीथीन की आयु बढा़ने के लिए एंव उसे बिखरने से बचाने के लिए कुछ महॅगे रसायनिक तत्वों को पोलीमर्स में मिलाया जाता है। परन्तु इसके प्रोसेसिग क्रिया भी उतनी ही आवष्यक है। साथ-साथ पोलीफिल्म को पैरा बैगनी किरणो से बचाने के लिए विभिन्न प्रकार के यू. वी. स्टेबलाइजेशन पैकेजज् इस्तेमाल मे लिए जाते है।

1.      एच.ए.एल.एस. – यह एक प्रकार की नवीनतम तकनीक है। इससे बनी फिल्म रगंहीन ट्रॉस लूसेंट , यू.वी. किरणों से पोली फिल्म को बचाती है और बहुतायत रूप से पी.ए. आर को अन्दर आने देती है। एच. ए. एल.एस. का मतलब हिडंरड़ अमाइन लाईट स्टेबलाइजर होता है।

2.      नीकल कूवेंचर , एच. ए.एल.एस., यू. वी. सोखने वाला  उपरोक्त पोली फिल्म आमतौर पर हरापन लिये हुए या पीले रंग की होती है। जिन फसलों मंे रोग एंव कीट प्रबन्धन के लिए सल्फर, कलोंरीन , है लोजन जैसे रसायनो का इस्तेमाल होता है। ऐसी जगह इस पोलीथीन फिल्म का उपयोग करना चाहिए/ इस उपरोक्त गुणों की वजह से इसे सल्फर प्रति रोधी फिल्म के नाम से भी जाना जाता है।

3.      एन. ओ. आर. – एच.ए.एल.एस. – यह एच.ए.एल.एस की पॉचवी जनरेसन है। इससे बनी पोलीथीन रंगहीन एंव कृषि में काम में लिए जाने वाले द्यातक रसायनिक तत्वों के असर से पोलीफिल्म को बचाती है। यह एक नवीनतम परन्तु एक महॅगी तकनीक है। यह फिल्म सूर्य की किरणों को बिना प्रकाष की गुणवता को प्रभावित करतें हुए हरितगृह के अन्दर प्रवेष कराता है।

थर्मल डिग्रेडेषन /फोटो आक्सीडेषन – पोली हाऊस में काम से ली गई पोली फिल्म आक्सीजन एंव आद्रता लिए हए वातावरण के बीच धातु से बने ढा़ॅचे के सम्पर्क में आती है और पोलीफिल्म को क्षति  पहुँचाती है। जिसे हम आक्सीडेसन की क्रिया कहते है।

इसके अलावा पोलीहाऊस का ढ़ाचा जो की लोहे या स्टील की धातु से बना होता हैै।सुर्य की तेज गर्मी से गर्म हो जाता है। और जो पोली फिल्म उसके सम्पर्क में आती है। वहॉ से कमजोर पड़ जाती है। और धीरे-धीरे फटने लगती है इस प्रक्रिया को हम थर्मल डिग्रेडेषन  कहते है।

आक्सीडेषन एंव थर्मल डीग्रेडेषन की प्रक्रिया को कम करने के लिए आक्सीडेसन प्रतिरोधी एंव थर्मल स्टेबलाइर्जस तत्वों को पोली फिल्म का उत्पादन करते वक्त मिला दिया जाता है। साथ ही कृषकों को यह हिदायत दी जाती है कि जहॉ तक हो सके पोली फिल्म एंव हरित गृह के ढांचे का आपस में सीधा सम्पर्क ना हो। इससे पोली फिल्म की आयु बढ़ती है।

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