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इन औषधीय पौधों की खेती में है अच्छा मुनाफा

अगर आप कम खर्च में अधिक मुनाफ़ा कमाना चाहते हैं तो यह औषधीय फसलों की खेती के जरिये संभव है। कई ऐसे औषधीय पोधे हैं जिनकी खेती बेकार पड़ी बंजर जमीन और पहाड़ी इलाकों में भी की जा सकती है। इन औषधीय पौधों की खेती कर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। तो चलिये कुछ वैसे औषधीय पौधों की खेती के बारे में जानते हैं जिनमें व्यावसायिक दृष्टि से अच्छा मुनाफा है।

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आर्टीमीशिया की खेती:
आर्टीमीशिया एक बहुत गुणकारी औषधीय पौधा है। इसके बीज भी आसानी से मिल जाते हैं। आर्टीमीशिया का उपयोग मलेरिया की दवाई बनाने में होता है। इस लिहाज से आर्टीमीशिया की खेती से किसान को अच्छा फायदा हो सकता है। आर्टीमीशिया की पैदावार 90 दिनों में तैयार हो जाती है।

आर्टीमीशिया की बढ़ती मांग को देखकर भारत में सीमैप (CIMAP) ने वर्ष 2005 से इसकी खेती करवाने और ट्रेनिंग देने की शुरूआत की है। इसकी खेती करने के लिए नम्बर-दिसम्बर महीने में नर्सरी तैयार करनी पड़ती है और फरवरी के महीने में इसको खेत में लगाना पड़ता है।

इस फसल को बहुत काम खाद-पानी की जरूरत पढ़ती है। इससे किसान वर्ष में 3 बार उपज प्राप्त कर सकते हैं। आर्टीमीशिया से प्रति बीघे में ढाई से साढ़े तीन क्विंटल पत्तियां निकलती हैं। इन पत्तियों को कोई भी औषधी बनाने वाली कंपनी 30 से 35 रूपये किलो के भाव से खरीदती है। इस हिसाब से देखें तो किसान को प्रति बीघा 9000 से 10000 तक का मुनाफा होता है।

तुलसी की खेती:
तुलसी का पौधा प्राचीन काल से ही हर घर के लगाया जाता रहा है। तुलसी की खेती अब व्यावसायिक लाभ के लिए कई राज्यों में बड़े पैमाने पर होने लगी है। तुलसी के पत्ते, तेल और बीज को बेच कर अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। तुलसी की खेती में कम लागत और ज्यादा मुनाफा है।
भारत में कई राज्य सरकारें तुलसी की खेती करने पर अनुदान भी उपलब्ध करवा रही हैं। तुलसी के बीज निजी दुकानों और आपके जिले के उद्यानिकी विभाग में भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

एलोवेरा की खेती:
एलोवेरा में कई औषधीय गुण पाये जाते हैं। तुलसी को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक एवं युनानी पद्धति में प्रयोग किया जाता है। पहले इस पौधे का उत्पादन व्यावसायिक रूप से नहीं किया जाता था। तुलसी के पौधे खेतों की मेढ़ या नदी किनारे अपने आप ही उग आते थे। परन्तु अब इसकी बढ़ती मांग के कारण किसान व्यावसायिक रूप से इसकी खेती को अपना रहे हैं, तथा समुचित लाभ प्राप्त कर रहे हैं।

एलोवेरा के पौधे की सामान्य उंचाई 60 से 90 सेंटीमीटर होती है। इसके पत्तों की लंबाई 30 से 45 सेंटीमीटर तथा चौड़ाई 2.5 से 7.5 सेंटीमीटर और मोटाई 1.25 सेंटीमीटर के लगभग होती है। एलोवेरा के पत्ते शुरूआत में सफेद रंग के होते हैं। ये पत्ते आगे से नुकीले व किनारों पर कंटीले होते हैं। पौधे के बीचो-बीच लाल पुष्प लगते हैं। हमारे देश में कई स्थानों पर एलोवेरा की अलग-अलग प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनका उपयोग कई प्रकार के रोगों के उपचार के लिये किया जाता है।

बिहार के किसान करें इन औषधीय पौधों की खेती

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