नई दिल्ली: अभी हाल के कुछ वर्षों में औषधीय फसलों की खेती के प्रति किसान काफी जागरूक हुए हैं। औषधीय फसलों की खेती को इस दौरान केंद्र सरकार से लेकर विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से भी काफी प्रोत्साहित किया जा रहा है। अगर आप भी औषधीय फसलों की खेती करने का मन बना रहे हैं तो गिलोय की खेती आपके लिए एक बढ़िया चुनाव साबित हो सकती है। यह कई प्रकार के औषधीय गुणों से भरपूर एक ऐसी फसल है जिसकी बाज़ार में काफी अच्छी मांग है। इस वजह से इसकी खेती में मुनाफा भी उतना ही अच्छा है। गिलोय के पत्तों में प्रोटीन, फास्फोरस व कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके पत्तों का रस गठिया रोग में बहुत लाभकारी होता है। गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बहुत ही कारगर होता है। किसान मित्रों, अगर इसकी खेती व्यवसायिक स्तर पर की जाए तो यह अच्छा लाभ दे सकती हैं।
हल्की मध्यम रेतीली-दोमट और अच्छी जल निकास वाली मिट्टी गिलोय की खेती के लिए उपयुक्त होती है। गिलोय की फसल उच्च वर्षा या जलभराव को सहन नहीं कर सकती है। यह पौधा बहुत कठोर होता है और इसे लगभग सभी प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है, लेकिन गर्म जलवायु इसके लिए सबसे बेहतर होती है। गिलोय की खेती शुरू करने से पहले खेत को खरपतवार मुक्त कर लें। फिर खेत में 4 टन गोबर की खाद और नाइट्रोजन की 30 किलोग्राम मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से डालें। इससे मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि होगी।
गिलोय की फसल से बेहतर पैदावार के लिए दो पौधों के बीच 3 मी. x 3 मी. की दूरी बनाए रखें। इस फसल के पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए आधार की आवश्यकता होती है। इसलिये फसल को लकड़ी की खपचियों का अच्छी तरह से सहारा दें। पौधों के विकास के शुरुआती चरणों में खेत में खाली जगहों की लगातार निराई-गुड़ाई करते रहें। किसान मित्रों, गिलोय की खेती कलम द्वारा की जाती है। इसलिए इसकी शुरुआत जून-जुलाई में ज़रूर कर देनी चाहिए। आप चाहें तो गिलोय के पौधों को बीज के द्वारा भी उगा सकते हैं। लेकिन बीज द्वारा पौधे तैयार करने में कलमों की अपेक्षा लगभग दोगुना समय लगता है।
गिलोय की कलम लगाने के तुरंत बाद हल्की सिचाई करें। इसके बाद 15 से 20 दिन के अंतर पर सिंचाई करते रहें। जब कलम से लता निकल जाए तब आप आवश्यकतानुसार फसल की सिंचाई कर सकते हैं। फसल तैयार होने पर गिलोय की बेल की कटाई भूमि की सतह के एक फुट ऊपर से अप्रैल-मई महीने में करनी चाहिए। इसकी बेल आसानी से नहीं सूखती हैं। इसकी पत्तियां नवंबर-दिसंबर महीने में झड़नी शुरू हो जाती हैं। जब गिलोय का तना 2.5 सेमी से अधिक व्यास का होता है, तब उसे जमीन से कुछ फीट ऊपर से काट देना चाहिए। कटाई के बाद पौधों को छोटे टुकड़ों में काटकर छाया में सुखा लें। जल्दी सुखाने के लिए बेल के छोटे-छोटे टुकड़े कर धूप में सुखाएँ। जब बेलें अच्छी तरह से सूख जाएँ तब बोरियों में उनका भंडारण कर लें। अब आप चाहें तो बाज़ार में इनकी बिक्री भी कर सकते हैं।