नई दिल्ली: केला भारत की एक महत्तवपूर्ण फल वाली फसल है। यह फल लगभग पूरे वर्ष बाज़ार में उपलब्ध रहता है। यह कार्बोहाइड्रेट और विटामिन, विशेष रूप से विटामिन बी का एक प्रमुख स्त्रोत है। केले से विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे चिप्स, केला प्यूरी, जैम, जैली व जूस आदि बनाए जाते हैं। इससे फाइबर के बैग, बर्तन और वॉली हैंगर जैसे दैनिक जीवन में काम आने वाले उत्पाद भी बनाए जाते हैं। हमारा देश केला उत्पादन के मामले में विश्व भर में पहले स्थान पर है। भारत में महाराष्ट्र केले की सर्वोच्च उत्पादकता वाला राज्य है। महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, आंध्र प्रदेश और आसाम केले के अन्य मुख्य उत्पादक राज्य हैं।
केले की खेती गहरी गाद चिकनी, दोमट और उच्च दोमट मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। इसके लिए लिए मिट्टी की पी एच 6 से 7.5 होना चाहिए। कई अन्य फसलों की भाँति केले की फसल पर भी विभिन्न रोगों व कीटों का हमला होता रहता है। यदि उचित समय पर इनकी पहचान कर रोकथाम के उपाय न किए जाएँ तो केले की पैदावार में भारी कमी देखने को मिल सकती है। साथ ही इससे फलों की गुणवत्ता पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है।
केले के फल पर फल की भुंडी का अक्सर आक्रमण होता है। यदि केले के फल पर भुंडी का हमला दिखे तो इसके उपचार के तौर पर तने के चारों तरफ मिट्टी में कार्बरील 10-20 ग्राम प्रति पौधे के हिसाब से डालें। इससे शीघ्र ही फल की भुंडी के प्रकोप से राहत मिलेगी।
फल की भुंडी के अलावा केले की फसल पर राइज़ोम की भुंडी का भी हमला होता है। इसकी रोकथाम के लिए केले के सूखे हुए पत्तों को समय-समय पर निकालते रहें और बाग को साफ-सुथरा रखें। इसके अलावा रोपाई से पहले केस्टर केक 250 ग्राम या कार्बरील 50 ग्राम या फिर फोरेट 10 ग्राम प्रति गड्ढे में डाल दें। इससे राइज़ोम की भुंडी पर बहुत जल्द नियंत्रण होगा।
केले की फसल के लिए चेपा भी एक बहुत हानिकारक कीट है। यदि फसल पर इसका हमला दिखे तो मिथाइल डेमेटन 2 मि.ली या डाइमैथोएट 30 ई सी 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर फसल पर छिड़काव करें। इससे शीघ्र ही चेपा के प्रकोप से राहत मिलेगी।
चेपा के अलावा थ्रिप्स भी एक ऐसा कीट है जिसकी वजह से केले की पैदावार में कमी देखने को मिलती है। केले के फलों पर जब भी इसका प्रभाव दिखे, यथाशीघ्र नियंत्रण के प्रयास शुरू कर दें। इसके लिए मिथाइल डेमेटन 20 ई. सी. 2 मि.ली. या मोनोक्रोटोफॉस 36 डब्लयु. एस. सी. 2 मि.ली. को प्रति लीटर पानी में मिलाकर पौधों पर स्प्रे करें। इससे केले की फसल थ्रिप्स से सुरक्षित हो जाएगी।
इन तमाम कीटों के अलावा एक और प्रमुख कीट है, जो यदि केले के पौधों पर आक्रमण कर दे और समय रहते उचित समाधान न अपनाए जाएँ, तो पैदावार को भारी नुकसान हो सकता है। यहाँ तक कि इसके हमले से कई बार पूरा का पूरा पौधा ही सूख जाता है। यह कीट है – निमाटोड। यह मुख्य रूप से केले के पौधों की जड़ों पर आक्रमण करता है। केले के पौधों को इसके हमले से बचाने के लिए पौधों को रोपाई से पहले कार्बोफ्युरॉन 3 प्रतिशत सी. जी. 50 ग्राम से प्रति जड़ को उपचारित करें। यदि रोपाई के दौरान जड़ का उपचार ना किया गया हो तो रोपाई के एक महीने के बाद कार्बोफ्युरॉन 40 ग्राम को पौधे के चारों तरफ डालें। इससे केले की फसल निमाटोड के हमले से बची रहेगी।