कृषि पिटारा

इस तरह गुलाब की खेती के जरिये किसान बढ़ा सकते हैं आर्थिक सफलता की ओर कदम

नई दिल्ली: समय के साथ बाजार में तरह-तरह के फूलों की मांग बढ़ रही है। अगर लोकप्रियता की बात करें तो सबसे ज्यादा पसंदीदा फूल में गुलाब शामिल है। विशेषकर, शादी के सीजन में इसकी मांग काफी बढ़ जाती है, जिससे किसानों का गुलाब की खेती में रुझान बढ़ रहा है। गुलाब के फूल का उपयोग केवल खूबसूरती के लिए ही नहीं, बल्कि औषधीय लाभों के लिए भी किया जाता है। साथ ही, इसे कॉस्मेटिक प्रॉडक्ट्स में भी उपयोग किया जाता है।

गुलाब की खेती में चश्मा चढ़ाने की एक नई तकनीक को लेकर किए जा रहे अनुसंधानों ने किसानों को नए मौकों और आर्थिक सफलता की ओर प्रवृत्त किया है। इस तकनीक के अनुसार, गुलाब की खेती में चश्मा चढ़ाने का सही समय और उपयोगी विधियों का पालन करने से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

गुलाब की किस्मों की संख्या बहुत ज्यादा है, लेकिन तकनीकी तौर पर गुलाब के 5 मुख्य वर्ग हैं, जिन्हें रंग, आकार, खुशबू और उपयोग के अनुसार बांटा गया है, ये हैं  – हाईब्रिड टीज, फ्लोरीबंडा, पोलिएन्था वर्ग, लता वर्ग और मिनिएचर वर्ग। इनमें से प्रत्येक वर्ग में अपनी विशेषता है और इनका उच्च बाजार मूल्य मिलता है।

चश्मा चढ़ाने के लिए सबसे पहले एक पूर्व-सिद्ध पौधे की शाखा का चयन करें और उसे रूटस्टॉक के रूप में चश्मा चढ़ाने की तैयारी करें। यह तकनीक चश्मा चढ़ाने की सबसे सफल विधि में से एक है, जिसमें किसानों को मौके पर मिलने वाले उच्च बाजार मूल्य के लिए तैयार करने में मदद मिलती है। गुलाब की खेती में चश्मा चढ़ाने की यह तकनीक किसानों को नए और उन्नत मार्ग पर ले जा रही है, जिससे वे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं और आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं। इसे अपनाकर, किसान गुलाब की खेती में नई समृद्धि व विकास की ओर बढ़ सकते हैं।

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