उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्याज के गिरते दामों से नाराज किसानों ने सोमवार को अपनी उपज को सड़क पर लाकर बांटना शुरू कर दिया। किसानों ने कृषि उपज मंडी के बाहर प्याज का मुफ्त वितरण कर सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध जताया। इस विरोध की अगुवाई संयुक्त कृषक संगठन ने की और किसानों ने प्याज को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के दायरे में लाने की पुरजोर मांग की।
प्याज की कीमतों में गिरावट से किसान बेहद परेशान हैं। किसान बताते हैं कि मंडी में अच्छी गुणवत्ता वाला प्याज भी एक, दो या पांच रुपये प्रति किलो के भाव में बिक रहा है, जिससे लागत निकलना भी मुश्किल हो गया है। कई किसानों की प्याज बारिश के कारण खेतों में ही सड़ गई है। मंडी आए एक किसान ने बताया कि उसे प्याज की फसल से कुछ नहीं मिला, ऊपर से मंडी तक लाने का भाड़ा भी नहीं निकला। ऐसे में उन्होंने फैसला लिया कि उपज को मुफ्त में ही लोगों को बांट देंगे।
मंडी के बाहर किसानों ने ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में प्याज भरकर लाए और उन्हें थैलियों में भरकर राहगीरों और शहरी लोगों को बांट दिया। इस दौरान मंडी गेट के सामने बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए और मुफ्त में प्याज लेने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। किसानों ने विरोध करते हुए कहा कि जब प्याज के दाम बढ़ते हैं, तो कई नेता प्याज की माला पहनकर विरोध जताते हैं, लेकिन जब किसान बर्बाद हो रहा है, तब कोई उनके हाल पूछने नहीं आता।
किसानों का कहना है कि सरकार को प्याज जैसी फसलों को भी समर्थन मूल्य के दायरे में लाना चाहिए, ताकि उत्पादन की लागत तो कम से कम मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले कुछ महीनों में बेमौसम बारिश और आंधी-तूफान से फसल को काफी नुकसान पहुंचा है, लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस मुआवजा या राहत नहीं मिली।
प्रदर्शन के दौरान किसानों ने हाथों में पोस्टर लेकर नारेबाजी की और सरकार से जल्द हस्तक्षेप की मांग की। किसानों ने चेतावनी दी कि यदि मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में यह विरोध और उग्र रूप ले सकता है। उज्जैन मंडी में हुआ यह विरोध प्रदर्शन केवल स्थानीय असंतोष नहीं, बल्कि उन हजारों किसानों की पीड़ा की आवाज है, जिन्हें अपनी मेहनत की कीमत नहीं मिल पा रही। सरकार के लिए यह एक चेतावनी भी है कि अगर कृषि उत्पादों की कीमतों में स्थिरता नहीं लाई गई, तो खेत से सड़क तक किसान अपनी आवाज बुलंद करते रहेंगे।