छोटका पत्रकार

इन उपायों को अपनाएँ, खेती के जरिये होगी अधिक आमदनी

नई दिल्ली: केंद्र की एनडीए सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में 2022 तक किसानों की आमदनी को दोगुनी कर देने की घोषणा की थी। इसके लिए सरकार ने किसानों के हित में कई योजनाओं की शुरुआत की है। किसानों को जैविक कृषि के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है – ताकि कृषि पर आने वाले भारी भरकम खर्च को कम किया जा सके। किसानों को उनके उपज का सही मूल्य मिल सके इसके लिए ज़्यादा से ज़्यादा किसान उत्पादक संगठनों के निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पूरे देश की मंडी को एक मंडी क्षेत्र के स्वरूप में लाने के लिए e-NAM की व्यवस्था की गयी है। इसके लिए देश के विभिन्न राज्यों में स्थित कृषि उपज मंडी को इंटरनेट के जरिए एक-दूसरे से जोड़ा गया है।

पर इतने कुछ के बावजूद यह सवाल उठता है कि क्या सरकार के स्तर पर किए गए ये तमाम प्रयास अपने लक्ष्य को पाने में सफल होंगे? क्योंकि सरकार द्वारा लक्षित समयसीमा को समाप्त होने में अब कुछ दो साल से भी कम समय बचा है। क्या सिर्फ सरकारी प्रयास ही पर्याप्त हैं किसानों की दशा-दिशा बदल देने के लिए? तो इसका सीधा सा जवाब है – नहीं। इसके लिए किसानों को खुद आगे आना होगा। उन्हें ज़िम्मेदारी उठानी होगी। स्वयं को शिक्षित और जागरूक बनाना होगा। और ये सब कुछ उन्हें अपने स्तर पर ही करना होगा।

अधिकांश किसानों को उनकी उपज का सही दाम न मिलना भारतीय कृषि की एक आम समस्या रही है। इससे निपटने के लिए किसान अगेती फसल लगाकर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं। यह जाहीर सी बात है कि जब बाज़ार में एक ही समय में एक प्रकार की वस्तु की अधिकता होगी तो उसका मूल्य नीचे गिरेगा। किसानों के सामने कई बार तो इस बात का भी संकट उत्पन्न सकता है कि उन्हें लागत निकालना भी मुश्किल हो जाए। इसलिए फसल बोते समय जलवायु को ध्यान में रखते हुए वैसे बीजों का चुनाव करें जो सीजन आने से पहले या फिर सीजन जाते समय उपज दें।

अच्छी पैदावार काफी हद तक मिट्टी कि गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है। इसलिए यह ज़रूरी है कि प्रयोगशाला में मिट्टी कि जाँच करवाएँ। इससे आपके खेत में मौजूद मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में आपको सारी जाकरियाँ मिल जाएंगी। जैसे कि, मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्व व जैविक पदार्थ मौजूद हैं? और किस मात्रा में मौजूद हैं?

अच्छी पैदावार के लिए अच्छे किस्म के उर्वरक का होना भी काफी ज़रूरी है। साथ ही यह भी ज़रूरी है कि उनका उपयोग किस मात्रा में किया जा रहा है। अगर उर्वरक कि गुणवत्ता कि बात करें तो जहाँ तक संभव हो जैविक उर्वरकों का प्रयोग करना आपके लिए बेहतर होगा। क्योंकि एक ओर, इससे मिट्टी की उर्वरता में तो वृद्धि होती ही है दूसरी ओर, पैदावार की उत्पादन लागत भी कम होती है।

बीजों की गुणवत्ता का अच्छी पैदावार से सीधा संबंध है। इसलिए ज़रूरी है कि आप हमेशा अच्छे किस्म के बीजों का प्रयोग करें।

फसल की बुआई करने के बाद फसल में रोग और कीटों के प्रकोप का खतरा लगातार बना रहता है। इसलिए यह ज़रूरी है कि इनकी रोकथाम के लिए सही समय पर सही कीटनाशक का प्रयोग किया जाए। बेहतर होगा कि जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाए। इससे आपकी पैदावार रसायनमुक्त रहेगी, उत्पादन लागत भी कम होगा और पैदावार की अच्छी गुणवत्ता की वजह से उसका उचित मूल्य भी मिलेगा।

फसल की बुवाई का फैसला मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार करें। संभव हो तो भारत सरकार द्वारा जारी आँकड़ों की जानकारी जुटाएँ और उन्हें ध्यान में रखते हुए फसल का चयन करें। कृषि को मुनाफे का सौदा बनाने के लिए उपरोक्त उपायों को अपना कर एक बार परिणाम की परख तो की ही जा सकती है।

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