नई दिल्ली: कृषि के विकास में पशुधन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। क्योंकि पशुधन के जरिये आपको विभिन्न प्रकार से आय तो प्राप्त होती ही है, इसके साथ-साथ कृषि से जुड़े कई कार्यों में सहूलियत भी होती है। लेकिन अक्सर देखने में आता है कि उचित देखभाल न करने की वजह से पशुधन को काफी नुकसान पहुँचता है। खास तौर पर यदि ठीक से देखभाल न किया जाए तो समय से पहले ही नवजात बछड़े काल के गाल में समा जाते हैं। ऐसा पर्याप्त जानकारी के अभाव में होता है। आप थोड़ी सी जागरूकता बरतकर अपने पशुधन को बड़ी आसानी समृद्ध कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ आसान से उपायों को अपनाना होगा। ये उपाय इस प्रकार हैं:
नवजात बछड़े को पैदा होते ही उसकी नाभि को नाभि सूत्र से 5 से 6 इंच की दूरी पर नये ब्लेड से काट के अलग कर दें। फिर कटे हुए भाग में ऊपर से 5 से 6 सेंटीमीटर की दूरी पर पट्टी बांध दें और उसकी नाभि पर टिंक्चर आयोडीन या बोरिक एसिड या फिर कोई एंटिबायोटिक लगाएँ।
बछड़े के शरीर को सूखे कपड़े या टाट से पोंछकर साफ सुथरे व हवादार जगह पर सुखाएं। हाथ से छाती को दबाकर और छोड़कर उसे कृत्रिम श्वसन प्रदान करें।
आमतौर पर गाय बछड़े को जन्म देते ही उसे जीभ से चाटने लगती है। इससे बछड़े के शरीर को सूखने में आसानी होती है और श्वसन तथा रक्त संचार सुचारू होता है। लेकिन यदि गाय बछड़े को न चाटे तो आप बछड़े के शरीर पर थोड़ा सा नमक छिड़क दें। इसके बाद गाय बछड़े को चाटकर साफ कर देगी। यदि इसके बाद भी गाय ऐसा नहीं करती है तो आप रूई की सहायता से भी बछड़े की नाक, आंख व कान में लगी गंदगी को लगी साफ कर सकते हैं।
बछड़े को ठंडी हवा या गर्म हवा से या खराब मौसम से बचानाएँ।
बछड़े को रखने वाली जगह पर मोटी पुआल बिछा दें।
अपने पास बछड़े के वजन का ब्योरा ज़रूर रखें। इससे उसके स्वास्थ्य पर नज़र रखने में आपको मदद मिलेगी।
बछड़े को मां का पहला दूध ज़रूर पीने दें।
बछड़े के पैदा होने के 18 – 20 दिन बाद थोड़ा-थोड़ा हरा चारा डालना शुरू कर दें ताकि उसे खाने की आदत लगे।
15 दिन से लेकर 45 दिन के अंदर बछड़े का सींग रोधन करवाएँ।
बछड़े को अंतः परजीवी व बाह्य परजीवी से बचाना चाहिए। इसलिए अंतः परजीवी के लिए बछड़े को एक हफ्ते, दो हफ्ते, 1 महीने, 3 महीने और 6 महीने के अंतराल पर कृमिनाशक दवा दें।