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बेहतर जल प्रबंधन तकनीकों को अपना कर जल शक्ति अभियान को सफल बनाने में सबकी भूमिका महत्वपूर्ण

– वृक्षारोपण सप्ताह के लिए 50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य
– “जल शक्ति अभियान” के तहत ग्रामीण विकास विभाग और यूनिसेफ के द्वारा राज्य स्तरीय भूजल संरक्षण और वर्षा जल संचयन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

पटना/12 जून2019
आज ग्रामीण विकास विभाग और यूनिसेफ के द्वारा जल शक्ति अभियान के अंतर्गतराज्य स्तरीय भूजल संरक्षण और वर्षा जल संचयन पर दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन हुआ. यह प्रशिक्षण कार्यशाला 1 जुलाई 2019 को जल संरक्षण पर भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए “जल शक्ति अभियान” के तहत आयोजित किया गया था.

कार्यशाला को संबोधित करते हुए ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अरविन्द कुमार चौधरी ने बेहतर जल प्रबंधन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए कहा की हमें इजराइल जैसे देशों के बेहतर जल प्रबंधन तकनीक से उदहारण लेना चाहिए. जल शक्ति अभियान के 5 तहत मुख्य पहल जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन, पारंपरिक और अन्य जल निकायों के नवीकरण, पुर्नउपयोग और बोरवेल रिचार्ज, जलस्त्रोतों का विकास और गहन पौधारोपण है. जल के गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भारत सरकार द्वारा देश के 256 जिलों में और लगभग 1593 प्रखंडों में जहां जल संकट की स्थिति है उनकी पहचान कर उनमें देशव्यापी जल शक्ति अभियान आगामी 15
सितम्बर, 2019 तक (प्रथम चरण) और 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक दूसरा चरण चलेगा। बिहार में इस अभियान में 12 जिलों पटना, बेगुसराय, कटिहार, भोजपुर, जहानाबाद, गोपालगंज, वैशाली,सारण,, नालंदा, नवादा, गया, मुजफ्फरपुर के 30 प्रखंड शामिल है जिसमे पटना जिले के 5 प्रखंड पटना सदर, पुनपुन, संपतचक, अथमलगोला और फुलवारी शरीफ हैं. चौधरी ने मनरेगा के तहत वन और पर्यावरण विभाग के समन्वय में वृक्षारोपण सप्ताह के लिए 50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया ।

जीविका के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी बालामुरुगन डी ने कहा कि वर्त्तमान में भूजल स्तर में कमी, अनियमित वर्षा और देश के कई हिस्सों में पानी की कमी के कारण भी जल प्रबंधन पर चर्चा का महत्व बढ़ जाता है. कार्यशाला के दौरान इस अभियान के सफल कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना तैयार भी की जाएगी. उन्होंने प्रतिभागियों को अपने संबंधित जिलों और प्रखंडों में जल-निकायों की पहचान करने के लिए कहा।

यूनिसेफ बिहार प्रमुख असदुर रहमान ने बिहार सहित जल शक्ति अभियान के तहत 14 राज्यों में यूनिसेफ की भागीदारी और योगदान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जल शक्ति अभियान, जन आंदोलन बनना चाहिए, तभी हम इसे सफल कर पाएंगे. हम सब को जल के महत्व एवं उसकी उपयोगिता को जन-जन तक पहुंचाना होगा।

यूनिसेफ बिहार के जल एवं स्वच्छता विशेषज्ञ प्रभाकर सिन्हा के कहा कि भूजल के अतिरिक्त दोहन और पुनर्भरण की कमी के कारण भूजल के स्तर में कमी आ रही है और साथ ही यह जल की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रहा है जिसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों और महिलाओं पर पड़ता है. जिसतरह हम बैंक से पैसे निकालते हैं और फिर डालते हैं उसी तरह हमें जल के प्रयोग से साथ ही हमें उसे रिचार्ज करता होगा. जितना वर्षा का जल है उसका अगर 8 प्रतिशत भी हम रिचार्ज कर ले तो हमारी जरुरत पूरी हो जायेगी. पेड़ों के महत्व के बारे में बताते हुए है उन्होंने कहा कि हमें हर एक पेड़ की देखभाल अपने बच्चों की तरह करनी होगी.

जल एवं स्वच्छता पदाधिकारी राजीव कुमार ने कहा कि जल शक्ति अभियान के तहर मनरेगा के फण्ड से पंचायत के सभी सरकारी भवनों में सोक पिट बनाया जाएगा. इसके साथ ही सभी सरकारी भवनों में वर्षा जल के संग्रहण के उपाय भी किये जाने हैं. इसके साथ ही सभी प्रखंडों में एक दिवसीय कार्यशाला भी आयोजित करना प्रस्तावित है.

पुणे की संस्था प्राईमोव के प्रशिक्षकों उदय पाटनकर, महेश कोडगिरे और चंद्रकांत ताड़खेडकर ने इस कार्यशाला में पहले दिन प्रतिभागियों को वर्षा जल संचयन के माध्यम से जल स्त्रोतों की सस्टेनेबिलिटी पर और दूसरे दिन और घरेलू और सामुदायिक स्तर पर जल प्रबंधन प्रणाली को बढ़ावा देने के माध्यम से वर्षा जल संचयन और ग्रे जल प्रबंधन के डिजाइन और सोक पिट के बारे में प्रशिक्षित किया गया. इस प्रशिक्षण में लगभग 120 लोगों ने हिस्सा लिया. जिसमें जल शक्ति अभियान के तहत चयनित 12 जिलों के 30 प्रखंडों से उप विकास आयुक्त, प्रखंड विकास पदाधिकारी, मनरेगा के इंजीनियर्स, जीविका के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के जिला समन्वय, के साथ ही यूनिसेफ, वाटरऐड, पिरामल, टीडीआई और आगा खां के प्रतिनिधि भी शामिल रहें.

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