कृषि पिटारा

भारत ने चालू वित्त वर्ष में 1.5 अरब डॉलर मूल्य के गेहूं का किया निर्यात

नई दिल्ली: वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल द्वारा शुक्रवार को राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में दिये गए आंकड़ों के अनुसार, भारत ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान 1.5 अरब डॉलर मूल्य के 46.56 लाख टन गेहूं का निर्यात किया। हालांकि वर्ष 2021-22 में 2.12 अरब डॉलर मूल्य के गेहूं का निर्यात किया गया था। वहीं, वर्ष 2022-23 के पहले सात महीनों के दौरान बासमती चावल का निर्यात 2.54 अरब डॉलर (24.10 लाख टन) का रहा।

हालांकि सरकार ने मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन इसके लिए अनुरोध करने वाले देशों की खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए कुछ निर्यात की खेपों को भेजने की अनुमति है। एक अलग उत्तर में, अनुप्रिया पटेल ने कहा कि 186 निर्यातकों को विदेश व्यापार नीति, 2015-2020 के तहत संक्रमणकालीन व्यवस्था के प्रावधानों के अनुसार गेहूं निर्यात करने की अनुमति दी गई है। गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक हुई वृद्धि की वजह से सरकार ने देश की समग्र खाद्य सुरक्षा प्रदान करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 13 मई को निर्यात पर रोक लगा दी थी। केवल कुछ शर्तों के तहत गेहूं के निर्यात की अनुमति दी गई थी। वहीं, कृषि सचिव मनोज आहूजा ने बृहस्पतिवार को कहा था कि प्रमुख उत्पादक राज्यों में गेहूं की फसल की अच्छी संभावना है। क्योंकि मौजूदा तापमान पौधों के बढ़ने और अधिक उपज की दृष्टि से अनुकूल बना हुआ है।

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर से शुरू हुए रबी सत्र में पिछले हफ्ते तक गेहूं खेती का रकबा तीन प्रतिशत बढ़कर 286.5 लाख हेक्टेयर हो गया है। अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष, 2023 से पहले अपने निवास पर केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा आयोजित मोटा अनाज भोज के मौके पर आहूजा ने कहा कि, गेहूं की फसल की संभावना अच्छी है। मौजूदा मौसम पौधों के विकास और बेहतर पैदावार के लिए अनुकूल है।

उन्होंने यह भी कहा कि बेहतर मौसम की स्थिति और फसल के अधिक रकबे के कारण फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में अधिक उत्पादन होने की उम्मीद है। पिछले साल की तरह अब तक गेहूं उत्पादक राज्यों से अत्यधिक तापमान की कोई सूचना नहीं मिली है। यह फसल की संभावनाओं के लिए शुभ संकेत है।

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