भारत ने दूध उत्पादन के मामले में अपनी बादशाहत को बरकरार रखा है। पिछले वर्ष देश में 231 मिलियन टन दूध का उत्पादन हुआ, और हर साल इस उत्पादन में तेजी से वृद्धि हो रही है। इसके बावजूद, भारतीय डेयरी सेक्टर के सामने कुछ चुनौतियाँ हैं, जिन्हें हल करने के लिए सुधार की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। इस दिशा में श्वेत क्रांति-2 का आगाज भी हो चुका है, जो दूध उत्पादन और डेयरी उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से शुरू किया गया है।
हालांकि, इन सुधारों के बावजूद डेयरी उत्पादों का निर्यात और घरेलू बाजार दोनों को बढ़ाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस मुद्दे पर हाल ही में पटना में आयोजित एक डेयरी कांफ्रेंस में गहन चर्चा हुई, जिसमें डेयरी उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के साथ-साथ प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया गया।
डेयरी एक्सपर्ट का दावा: ये छह काम करेंगे डेयरी सेक्टर की तस्वीर बदलने में मदद
डेयरी विशेषज्ञों का मानना है कि अगर डेयरी और पशुपालन सेक्टर में कुछ खास काम किए जाएं, तो यह सेक्टर और उससे जुड़े लाखों पशुपालकों की स्थिति में बड़ा बदलाव आ सकता है।
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट, डॉ. आरएस सोढ़ी ने कहा कि डेयरी सेक्टर को सुधारने के लिए छह मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना भी डेयरी और पशुपालन के क्षेत्र में न केवल उत्पादकता बढ़ाएगा, बल्कि इससे जुड़ी अन्य समस्याओं का समाधान भी होगा।
छह जरूरी कदम
- प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाना: डॉ. सोढ़ी ने सबसे पहले प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। उनका कहना था कि किसानों को अधिक दूध उत्पादन की प्रेरणा देने के लिए बेहतर प्रशिक्षण और जागरूकता की जरूरत है।
- आधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट का निर्माण: दूध प्रसंस्करण सुविधाओं की संख्या और गुणवत्ता में वृद्धि करनी होगी, ताकि उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार हो सके और बाजार की मांग को पूरा किया जा सके।
- निर्यात और घरेलू बाजार का विस्तार: भारतीय डेयरी उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने के साथ-साथ घरेलू बाजार में भी इनके प्रसार पर ध्यान देना होगा। विशेषकर, इंटरनेशनल मार्केट में घी की बढ़ती मांग को देखते हुए इस क्षेत्र में निवेश की आवश्यकता है।
- सरकारी निवेश: सरकार को डेयरी के सहयोगात्मक ढांचे, वैल्यू चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाना होगा, जिससे किसानों को बेहतर लाभ मिल सके।
- चारे की लागत में कमी: किसानों के लिए चारा लागत को कम करना भी एक महत्वपूर्ण पहल होगी, ताकि दूध उत्पादन की लागत कम हो और उन्हें अच्छे मुनाफे की उम्मीद हो।
- पशुपालन को संगठित करना: छोटे स्तर पर पशुपालन करने वाले किसानों को संगठित किया जाना चाहिए, ताकि उन्हें अधिक लाभ मिल सके। ऐसा करने से दूध उत्पादन की लागत भी कम होगी और किसानों की आमदनी में सुधार होगा।
डेयरी प्रोडक्ट की पैकेजिंग पर भी ध्यान
डेयरी विशेषज्ञों ने पैकेजिंग पर भी विशेष ध्यान देने की बात की। उनका मानना है कि अच्छा पैकिंग खाने के सामान, विशेषकर डेयरी उत्पादों, की गुणवत्ता और मूल्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। पैकिंग से न केवल उत्पाद की शेल्फ लाइफ बढ़ती है, बल्कि इससे उपभोक्ताओं का विश्वास भी बढ़ता है। डेयरी उत्पादों की पैकेजिंग में सुधार करने से निर्यात को भी बढ़ावा मिल सकता है।
प्रोडक्ट की गुणवत्ता पर ध्यान देना होगा
आज के दौर में ग्राहक सिर्फ पैकेजिंग ही नहीं, बल्कि प्रोडक्ट की गुणवत्ता भी चेक करते हैं। दूध के मामलों में अब लोग फैट कंटेंट तक देख रहे हैं। इस लिए डेयरी उत्पादों के निर्माताओं को उत्पाद की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देना होगा। गुणवत्ता में कमी आने से न केवल उपभोक्ता का विश्वास टूटता है, बल्कि बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ जाती है।
श्वेत क्रांति-2 का लक्ष्य
श्वेत क्रांति-2 का मुख्य उद्देश्य भारतीय डेयरी सेक्टर को और भी मजबूत बनाना है। इसमें न केवल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की योजना है, बल्कि इसके साथ ही उत्पादों की गुणवत्ता, पैकेजिंग और विपणन पर भी ध्यान दिया जाएगा। यह योजना भारतीय किसानों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा करने योग्य बनाने में मदद करेगी और भारतीय डेयरी उत्पादों के निर्यात को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाएगी।
भारत में दूध उत्पादन में दुनिया में पहले स्थान पर होने के बावजूद, डेयरी क्षेत्र में कई सुधारों की आवश्यकता है। यदि सरकार और उद्योग मिलकर डेयरी और पशुपालन के क्षेत्र में टेक्नोलॉजी, निवेश, पैकेजिंग और गुणवत्ता में सुधार करते हैं, तो भारतीय डेयरी उत्पाद वैश्विक बाजार में और भी बेहतर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। इस दिशा में श्वेत क्रांति-2 की शुरुआत एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय डेयरी उद्योग को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में मदद कर सकता है।